भगवद गीता – दशम अध्याय: विभूति योग
(Vibhuti Yoga – The Yoga of Divine Glories)
📖 अध्याय 10 का परिचय
विभूति योग भगवद गीता का दसवाँ अध्याय है, जिसमें श्रीकृष्ण अपनी दिव्य विभूतियों (Divine Glories) का विस्तार से वर्णन करते हैं। वे अर्जुन को बताते हैं कि संपूर्ण सृष्टि में जो भी महान, शक्तिशाली और दिव्य है, वह केवल उनकी महिमा का अंश मात्र है।
👉 मुख्य भाव:
- भगवान का सर्वज्ञान और सर्वशक्तिमान स्वरूप।
- श्रद्धा और भक्ति से ही भगवान को जाना जा सकता है।
- भगवान की विभूतियाँ (Divine Glories) सृष्टि के हर उत्तम रूप में प्रकट होती हैं।
📖 श्लोक (10.20):
"अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च॥"
📖 अर्थ: हे अर्जुन! मैं सभी जीवों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ। मैं सभी भूतों का आदि, मध्य और अंत हूँ।
👉 यह अध्याय हमें भगवान की सर्वव्यापकता और उनकी दिव्य शक्तियों का ज्ञान कराता है।
🔹 1️⃣ भगवान के दिव्य गुण और भक्ति का महत्व
📌 1. भगवान की सर्वज्ञता और उनकी महिमा (Verses 1-7)
- श्रीकृष्ण कहते हैं कि वे ही संपूर्ण ब्रह्मांड के स्रष्टा, पालनहार और संहारकर्ता हैं।
- केवल श्रद्धावान भक्त ही उनकी महिमा को समझ सकते हैं।
📖 श्लोक (10.3):
"यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम्।
असंमूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते॥"
📖 अर्थ: जो मुझे अजन्मा, अनादि और संपूर्ण लोकों का स्वामी जानता है, वह मोह से मुक्त होकर सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
👉 भगवान को जानने से ही जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति संभव है।
🔹 2️⃣ भगवान भक्तों को विशेष ज्ञान प्रदान करते हैं
📌 2. भगवान स्वयं भक्तों को दिव्य ज्ञान प्रदान करते हैं (Verses 8-11)
- जो भक्त सच्चे प्रेम से भगवान की भक्ति करते हैं, उन्हें स्वयं भगवान विशेष ज्ञान (दिव्य बुद्धि) प्रदान करते हैं।
📖 श्लोक (10.10):
"तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते॥"
📖 अर्थ: जो भक्त सदा प्रेमपूर्वक मेरी भक्ति में लगे रहते हैं, उन्हें मैं वह दिव्य बुद्धि प्रदान करता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त कर सकें।
👉 सच्ची भक्ति करने से भगवान स्वयं भक्तों को सही मार्ग दिखाते हैं।
🔹 3️⃣ अर्जुन की जिज्ञासा और भगवान की विभूतियाँ
📌 3. अर्जुन भगवान की महिमा जानना चाहते हैं (Verses 12-18)
- अर्जुन श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि "हे कृष्ण! कृपया अपनी महान विभूतियों (Divine Glories) का वर्णन करें।"
- वे स्वीकार करते हैं कि केवल भगवान ही स्वयं को पूर्ण रूप से जान सकते हैं।
📖 श्लोक (10.14):
"सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः॥"
📖 अर्थ: हे केशव! जो कुछ भी आप कह रहे हैं, मैं उसे पूर्ण सत्य मानता हूँ। आपकी वास्तविक महिमा को न देवता जानते हैं, न ही दानव।
👉 केवल भगवान ही अपनी वास्तविक शक्ति को पूर्ण रूप से जानते हैं।
🔹 4️⃣ भगवान की प्रमुख विभूतियाँ
📌 4. श्रीकृष्ण की 20 महत्वपूर्ण विभूतियाँ (Verses 19-42)
- श्रीकृष्ण बताते हैं कि उनकी महिमा सृष्टि के प्रत्येक महान, दिव्य और शक्तिशाली वस्तु या व्यक्ति में प्रकट होती है।
- वे स्वयं को प्रत्येक वर्ग के श्रेष्ठतम व्यक्ति या वस्तु के रूप में प्रकट करते हैं।
📖 श्लोक (10.41):
"यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसंभवम्॥"
📖 अर्थ: जो कुछ भी तेजस्वी, प्रभावशाली और दिव्य है, उसे मेरी ही शक्ति का एक अंश जानो।
👉 संसार में जो भी दिव्य, महान और शक्तिशाली है, वह भगवान की ही झलक है।
🔹 श्रीकृष्ण की कुछ महत्वपूर्ण विभूतियाँ
वर्ग | भगवान की विभूति |
---|---|
ऋषियों में | नारद, व्यास, शुकदेव |
देवताओं में | इंद्र |
सिद्धों में | कपिल मुनि |
वेदों में | सामवेद |
यज्ञों में | जप-यज्ञ (मंत्र जप) |
नदियों में | गंगा |
पर्वतों में | हिमालय |
वृक्षों में | पीपल |
पशुओं में | सिंह |
पक्षियों में | गरुड़ |
युद्धनीतियों में | नीति (नीतिशास्त्र) |
दैत्यों में | प्रह्लाद |
शस्त्रधारियों में | राम |
नक्षत्रों में | चंद्रमा |
सांस्कृतिक कलाओं में | नृत्य और संगीत |
👉 भगवान की विभूतियाँ सृष्टि के प्रत्येक श्रेष्ठतम तत्व में विद्यमान हैं।
🔹 5️⃣ भगवान की अपार शक्ति का सारांश
📌 5. भगवान की शक्ति अनंत है (Verses 42)
- श्रीकृष्ण कहते हैं कि उनकी विभूतियाँ अनंत हैं और इस पूरी सृष्टि को उन्होंने केवल अपने एक अंश से धारण कर रखा है।
📖 श्लोक (10.42):
"अथवा बहुनैतेन किं ज्ञातेन तवार्जुन।
विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्॥"
📖 अर्थ: हे अर्जुन! इतनी विभूतियों को जानकर क्या करोगे? मैंने तो इस समस्त जगत को अपने एक छोटे से अंश से धारण कर रखा है।
👉 भगवान की महिमा अनंत है, और उन्होंने पूरी सृष्टि को केवल अपने एक अंश से धारण किया हुआ है।
🔹 6️⃣ अध्याय से मिलने वाली शिक्षाएँ
📖 इस अध्याय में श्रीकृष्ण के उपदेश से हमें कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं:
✅ 1. भगवान की महिमा संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है।
✅ 2. भक्ति के माध्यम से ही भगवान को सच्चे रूप में जाना जा सकता है।
✅ 3. भगवान स्वयं अपने भक्तों को दिव्य ज्ञान प्रदान करते हैं।
✅ 4. संसार की हर महान वस्तु और शक्ति भगवान की ही झलक है।
✅ 5. भगवान ने पूरे ब्रह्मांड को अपने केवल एक अंश से धारण किया है।
🔹 निष्कर्ष
1️⃣ विभूति योग गीता का वह अध्याय है, जिसमें श्रीकृष्ण अपनी अनंत शक्तियों और विभूतियों का वर्णन करते हैं।
2️⃣ संसार में जो कुछ भी दिव्य, शक्तिशाली और महान है, वह भगवान की ही महिमा का अंश है।
3️⃣ भगवान की भक्ति करने वाले भक्तों को वे स्वयं दिव्य ज्ञान प्रदान करते हैं।
4️⃣ संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान की ऊर्जा से व्याप्त है, और उन्होंने इसे अपने केवल एक अंश से धारण किया है।
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