प्रेम का मूल्य
किसी समय, एक राजा अपनी प्रजा और राज्य के लिए बहुत कुछ करता था, लेकिन उसे हमेशा यह महसूस होता था कि लोग उसे केवल उसकी शक्ति और धन के कारण सम्मान देते हैं। वह यह जानना चाहता था कि सच्चा प्रेम और निःस्वार्थ समर्पण क्या होता है।
राजा की परीक्षा
एक दिन, राजा ने अपने दरबार में घोषणा की:
"मैं यह जानना चाहता हूं कि सच्चा प्रेम क्या है और इसका मूल्य कितना है। जो मुझे इसका उत्तर देगा, उसे मैं पुरस्कृत करूंगा।"
राजा की यह घोषणा सुनकर कई लोग अपनी-अपनी परिभाषा लेकर आए। किसी ने कहा प्रेम धन और भौतिक सुख है, तो किसी ने इसे प्रसिद्धि और सम्मान से जोड़ा। लेकिन राजा किसी उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ।
गरीब किसान और उसकी पत्नी
कुछ दिन बाद, एक गरीब किसान और उसकी पत्नी राजा के दरबार में आए। किसान ने कहा,
"महाराज, सच्चा प्रेम समर्पण और निःस्वार्थता है। इसका मूल्य शब्दों में नहीं बताया जा सकता।"
राजा ने पूछा,
"क्या तुम यह साबित कर सकते हो?"
किसान ने उत्तर दिया,
"जी महाराज। मेरे पास कुछ भी नहीं है, लेकिन मेरी पत्नी ने हमेशा कठिन समय में मेरा साथ दिया है। वह मेरे लिए अपना सर्वस्व त्याग सकती है।"
राजा की परीक्षा का आदेश
राजा ने किसान की पत्नी को बुलाया और कहा,
"यदि तुम सचमुच अपने पति से प्रेम करती हो, तो क्या तुम उसे अपने जीवन से अधिक महत्व देती हो?"
पत्नी ने कहा,
"महाराज, मेरे लिए मेरा पति ही सब कुछ है। मैं अपना जीवन भी उसके लिए त्याग सकती हूं।"
राजा ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उसने सैनिकों को आदेश दिया कि किसान को एक खतरनाक वन में छोड़ दिया जाए, जहां जंगली जानवर रहते थे। राजा ने कहा,
"यदि तुम्हारा प्रेम सच्चा है, तो तुम अपने पति को बचाने के लिए वहां जाओगी।"
पत्नी का साहस
पत्नी बिना डरे वन में चली गई। उसने हर खतरे का सामना किया और अपने पति को ढूंढा। जब उसने अपने पति को जंगली जानवरों से घिरा हुआ पाया, तो उसने अपनी जान की परवाह किए बिना जानवरों से संघर्ष किया और अपने पति को बचा लिया।
राजा का बोध
यह सब देखकर राजा बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा,
"तुम्हारे प्रेम ने मुझे सिखाया कि सच्चा प्रेम निःस्वार्थ होता है। इसका मूल्य कोई नहीं लगा सकता। यह वह ताकत है, जो किसी भी बाधा को पार कर सकती है।"
राजा ने किसान और उसकी पत्नी को सम्मानित किया और उनके जीवन को सुखद बनाने के लिए उन्हें पर्याप्त धन और संसाधन प्रदान किए।
बेताल का प्रश्न
बेताल ने राजा विक्रम से पूछा:
"क्या राजा ने प्रेम का मूल्य समझा? और किसान की पत्नी के कार्य को आप किस प्रकार देखते हैं?"
राजा विक्रम का उत्तर
राजा विक्रम ने कहा:
"राजा ने प्रेम का मूल्य समझ लिया, क्योंकि उसने देखा कि निःस्वार्थ समर्पण और साहस ही सच्चे प्रेम की पहचान है। किसान की पत्नी ने अपने कार्य से यह सिद्ध किया कि प्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म में होता है।"
कहानी की शिक्षा
- सच्चा प्रेम निःस्वार्थ और समर्पित होता है।
- प्रेम का मूल्य धन या शक्ति से नहीं लगाया जा सकता।
- सच्चे प्रेम में साहस और त्याग की भावना होती है।
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