शनिवार, 16 मई 2020

8. मृत पुत्र और तपस्वी माता की कहानी

 

मृत पुत्र और तपस्वी माता की कहानी

प्राचीन समय में, एक तपस्वी महिला थी जो अपनी कठोर साधना और धर्म के पालन के लिए प्रसिद्ध थी। उसका एकमात्र पुत्र था, जो उसकी जिंदगी का केंद्र था। वह अपने पुत्र से अत्यधिक प्रेम करती थी और उसे धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा देती थी। लेकिन नियति ने उसके धैर्य और तप का कठोर परीक्षण लिया।


पुत्र की मृत्यु

एक दिन, अचानक पुत्र बीमार पड़ गया। महिला ने हर संभव उपाय किए, लेकिन वह अपने पुत्र को बचा नहीं पाई। उसका पुत्र अल्पायु में ही चल बसा। पुत्र की मृत्यु ने महिला को गहरे शोक में डाल दिया, लेकिन उसने अपने धैर्य और तप को बनाए रखा।


अनोखी प्रार्थना

महिला ने अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने की ठानी। वह पुत्र के शव को लेकर जंगल में गई और अपनी साधना प्रारंभ की। उसने देवी-देवताओं से प्रार्थना की कि वे उसके पुत्र को पुनर्जीवित करें।

कुछ समय बाद, एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ और उसमें से एक देवदूत ने कहा,
"हे माता, तुम्हारी तपस्या और भक्ति देखकर हम प्रसन्न हैं। तुम्हारा पुत्र पुनर्जीवित हो सकता है, लेकिन एक शर्त है।"


देवदूत की शर्त

देवदूत ने कहा,
"तुम्हें ऐसे घर से एक मुट्ठी चावल लाने होंगे, जहां किसी ने कभी मृत्यु का सामना न किया हो।"

महिला को यह शर्त सरल लगी। वह तुरंत अपने पुत्र को वहीं छोड़कर गांव-गांव में चावल मांगने निकल पड़ी।


मृत्यु का सार्वभौमिक सत्य

महिला ने हर घर में जाकर पूछा,
"क्या आपके घर में कभी किसी की मृत्यु नहीं हुई है? अगर नहीं, तो मुझे एक मुट्ठी चावल दें।"

लेकिन हर घर से उसे यही उत्तर मिला:
"हमने अपने माता-पिता, बच्चों, या रिश्तेदारों को खोया है। मृत्यु से कोई बच नहीं सकता।"

धीरे-धीरे महिला को यह समझ आने लगा कि मृत्यु जीवन का अटूट सत्य है।


महिला का आत्मबोध

अंत में, महिला वापस जंगल में लौटी और अपने पुत्र के शव को देखा। उसने देवदूत से कहा,
"मैंने समझ लिया है कि मृत्यु एक अटल सत्य है। इसे कोई टाल नहीं सकता। अब मैं अपने पुत्र के पुनर्जीवन की इच्छा छोड़ती हूं और इसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करती हूं।"

देवदूत ने महिला को आशीर्वाद दिया और कहा,
"तुमने सत्य को समझ लिया है। अब तुम्हारा जीवन और अधिक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक होगा।"


बेताल का प्रश्न

बेताल ने राजा विक्रम से पूछा:
"महिला ने अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने का प्रयास क्यों छोड़ा? क्या यह उसका सही निर्णय था?"


राजा विक्रम का उत्तर

राजा विक्रम ने कहा:
"महिला ने अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने का प्रयास इसलिए छोड़ा क्योंकि उसने मृत्यु के सार्वभौमिक सत्य को समझ लिया। उसने यह स्वीकार किया कि मृत्यु अटल है और इसे स्वीकार करना ही सबसे बड़ी बुद्धिमत्ता है। यह उसका सही निर्णय था, क्योंकि सत्य को स्वीकार करके उसने अपने शोक को त्याग दिया और शांति प्राप्त की।"


कहानी की शिक्षा

  1. मृत्यु जीवन का अटल सत्य है। इसे कोई टाल नहीं सकता।
  2. सच्चा ज्ञान सत्य को स्वीकार करने में है।
  3. धैर्य और आत्मबोध से सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है।

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