ऋग्वेद: षष्ठम मंडल (6th Mandala) – संरचना और विषय-वस्तु
ऋग्वेद का षष्ठम मंडल (6th Mandala) मुख्य रूप से इंद्र, अग्नि और पुषन देवताओं की स्तुति से संबंधित है। इस मंडल में यज्ञ, प्राकृतिक शक्तियों, सूर्य की महिमा, कृषि, पशुपालन और देवताओं के कार्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
🔹 षष्ठम मंडल की संरचना
वर्ग | संख्या |
---|---|
सूक्त (हाइम्न्स) | 75 |
ऋचाएँ (मंत्र) | लगभग 765 |
मुख्य देवता | इंद्र, अग्नि, पुषन, विष्णु, अश्विनीकुमार, मरुतगण |
महत्वपूर्ण विषय | यज्ञ, कृषि, पशुपालन, यात्रा, धर्म, आध्यात्मिकता |
👉 यह मंडल मुख्य रूप से भारद्वाज ऋषि कुल से संबंधित है और इसमें ऋषि भारद्वाज, दिर्घतमस, देववात, कुत्स आदि की रचनाएँ सम्मिलित हैं।
🔹 षष्ठम मंडल की प्रमुख विषय-वस्तु
सूक्त संख्या | मुख्य विषय-वस्तु |
---|---|
सूक्त 1-20 | अग्नि और इंद्र की स्तुति (यज्ञ, शक्ति, वीरता) |
सूक्त 21-35 | मरुतगण और वायु की स्तुति (तूफान, वर्षा, ऊर्जा) |
सूक्त 36-50 | पुषन देव की स्तुति (यात्रा, सुरक्षा, पशुपालन) |
सूक्त 51-65 | अश्विनीकुमारों की स्तुति (स्वास्थ्य, चिकित्सा, चमत्कार) |
सूक्त 66-75 | आध्यात्मिकता, धर्म और दार्शनिक विचार (सत्य, प्रकृति) |
🔹 षष्ठम मंडल के प्रमुख सूक्तों की व्याख्या
1️⃣ अग्नि और इंद्र की स्तुति (सूक्त 1-20)
- अग्नि को यज्ञ का अधिष्ठाता, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक बताया गया है।
- इंद्र को वीरता और युद्ध के देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
🔹 मुख्य विषय:
- अग्नि देव समृद्धि और ज्ञान का स्रोत हैं।
- यज्ञों में अग्नि की भूमिका महत्वपूर्ण है।
2️⃣ मरुतगण और वायु की स्तुति (सूक्त 21-35)
- मरुतों को वायु, बिजली और वर्षा के नियंत्रक बताया गया है।
- ये देवता इंद्र के सहयोगी हैं और तूफानों की गति को नियंत्रित करते हैं।
🔹 मुख्य विषय:
- मरुतगण जीवन के संतुलन और कृषि के लिए आवश्यक हैं।
- तूफान और वर्षा प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं।
3️⃣ पुषन देव की स्तुति (सूक्त 36-50)
- पुषन को यात्रियों और पशुओं के संरक्षक देवता माना गया है।
- वे सड़क मार्गों के संरक्षक, कृषि और पशुपालन के रक्षक माने जाते हैं।
🔹 मुख्य विषय:
- पुषन यात्रा और सुरक्षा के देवता हैं।
- वे पशुपालन और कृषि के संरक्षक हैं।
4️⃣ अश्विनीकुमारों की स्तुति (सूक्त 51-65)
- अश्विनीकुमारों को वैश्विक चिकित्सक और आरोग्य प्रदाता माना गया है।
- इन सूक्तों में स्वास्थ्य, दीर्घायु, और चिकित्सा विज्ञान का उल्लेख किया गया है।
🔹 मुख्य विषय:
- अश्विनीकुमार चिकित्सा के ज्ञाता माने जाते हैं।
- वे बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाले देवता हैं।
5️⃣ आध्यात्मिकता, धर्म और दार्शनिक विचार (सूक्त 66-75)
- इस भाग में सत्य, ब्रह्म, धर्म और प्रकृति के रहस्यों पर विचार किया गया है।
- इसमें ब्रह्मांडीय संतुलन, नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था को महत्व दिया गया है।
🔹 मुख्य विषय:
- धर्म और सत्य के महत्व को दर्शाया गया है।
- सभी धर्मों और विचारधाराओं की एकता पर बल दिया गया है।
🔹 षष्ठम मंडल का महत्व
- प्राकृतिक संतुलन – सूर्य, जल, वर्षा और वायु का महत्व बताया गया है।
- यात्रा और सुरक्षा – पुषन को यात्रियों और मार्गों का संरक्षक माना गया है।
- स्वास्थ्य और चिकित्सा – अश्विनीकुमारों की महिमा, जो आयुर्वेद और आरोग्य का प्रतीक हैं।
- सामाजिक व्यवस्था – न्याय, सत्य और धर्म के सिद्धांत दिए गए हैं।
- पर्यावरण चेतना – जल, पृथ्वी और वर्षा के महत्व को स्पष्ट किया गया है।
🔹 निष्कर्ष
- षष्ठम मंडल ऋग्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें प्रकृति, धर्म, सूर्य, जल, वर्षा और आध्यात्मिक ज्ञान पर विशेष बल दिया गया है।
- इसमें अग्नि, इंद्र, मरुतगण, पुषन, अश्विनीकुमार की स्तुति की गई है।
- यह मंडल यात्रा, कृषि, पशुपालन और सामाजिक संतुलन पर जोर देता है।
- इस मंडल के मंत्र यज्ञ, पर्यावरण संतुलन, आत्मज्ञान और समाज के नैतिक सिद्धांतों को दर्शाते हैं।
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