शनिवार, 7 अप्रैल 2018

ऋग्वेद: सप्तम मंडल (7th Mandala) – संरचना और विषय-वस्तु

ऋग्वेद: सप्तम मंडल (7th Mandala) – संरचना और विषय-वस्तु

ऋग्वेद का सप्तम मंडल (7th Mandala) मुख्य रूप से इंद्र, वरुण, अग्नि, मित्र, मरुतगण और वसुओं की स्तुति से संबंधित है। इसमें यज्ञ, प्राकृतिक शक्तियों, जल की महिमा, सत्य और धर्म पर विशेष बल दिया गया है।


🔹 सप्तम मंडल की संरचना

वर्गसंख्या
सूक्त (हाइम्न्स)104
ऋचाएँ (मंत्र)लगभग 841
मुख्य देवताइंद्र, वरुण, अग्नि, मित्र, मरुतगण, वसु
महत्वपूर्ण विषययज्ञ, जल, धर्म, सत्य, समाज, प्राकृतिक शक्तियाँ

👉 यह मंडल मुख्य रूप से वसिष्ठ ऋषि कुल से संबंधित है और इसमें ऋषि वसिष्ठ, भरद्वाज, गौतम आदि की रचनाएँ सम्मिलित हैं।


🔹 सप्तम मंडल की प्रमुख विषय-वस्तु

सूक्त संख्यामुख्य विषय-वस्तु
सूक्त 1-20इंद्र और अग्नि की स्तुति (यज्ञ, शक्ति, वीरता)
सूक्त 21-40वरुण और मित्र की स्तुति (न्याय, सत्य, जल चक्र)
सूक्त 41-60मरुतगण और वायु की स्तुति (वर्षा, तूफान, ऊर्जा)
सूक्त 61-80जल, नदी और पृथ्वी की स्तुति (संतुलन, शुद्धता)
सूक्त 81-104वसुओं और समाज में धर्म की महत्ता (नैतिकता, दार्शनिक विचार)

🔹 सप्तम मंडल के प्रमुख सूक्तों की व्याख्या

1️⃣ इंद्र और अग्नि की स्तुति (सूक्त 1-20)

  • इंद्र को युद्ध और शक्ति का देवता बताया गया है।
  • अग्नि को यज्ञों का अधिष्ठाता और शुद्धता का प्रतीक बताया गया है।

🔹 मुख्य विषय:

  • अग्नि देव समृद्धि और ज्ञान का स्रोत हैं।
  • यज्ञों में अग्नि की भूमिका महत्वपूर्ण है।

2️⃣ वरुण और मित्र की स्तुति (सूक्त 21-40)

  • वरुण को न्याय और जल के देवता माना गया है।
  • मित्र को सौहार्द्र और मित्रता का देवता कहा गया है।

🔹 मुख्य विषय:

  • वरुण नैतिकता और जल का रक्षक है।
  • मित्र समाज में सौहार्द्र और मेल-जोल बढ़ाने वाले देवता हैं।

3️⃣ मरुतगण और वायु की स्तुति (सूक्त 41-60)

  • मरुतों को वर्षा, वायु और तूफान के देवता बताया गया है।
  • ये इंद्र के सहयोगी हैं और मौसम में संतुलन बनाए रखते हैं।

🔹 मुख्य विषय:

  • मरुतगण प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।
  • तूफान और वर्षा का संतुलन उन्हीं के द्वारा होता है।

4️⃣ जल, नदी और पृथ्वी की स्तुति (सूक्त 61-80)

  • इस भाग में सरस्वती, गंगा, यमुना, सिंधु और अन्य नदियों का वर्णन किया गया है।
  • जल को शुद्धि, जीवन और समृद्धि का स्रोत बताया गया है।

🔹 मुख्य विषय:

  • जल देवता हमें जीवन देते हैं और हमारी आत्मा को शुद्ध करते हैं।
  • नदियों की पूजा और संरक्षण का संदेश दिया गया है।

5️⃣ वसुओं और समाज में धर्म की महत्ता (सूक्त 81-104)

  • वसुओं को प्राकृतिक संपत्तियों और पृथ्वी के रक्षक देवता बताया गया है।
  • इस भाग में सत्य, धर्म और सामाजिक मूल्यों की चर्चा की गई है।

🔹 मुख्य विषय:

  • धर्म और सत्य का पालन मनुष्य के जीवन का मुख्य कर्तव्य है।
  • पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों के संतुलन की आवश्यकता बताई गई है।

🔹 सप्तम मंडल का महत्व

  1. प्राकृतिक संतुलन – सूर्य, जल, वर्षा और वायु का महत्व बताया गया है।
  2. धर्म और नैतिकता – वरुण और मित्र को नैतिकता और ऋतु चक्र का रक्षक माना गया है।
  3. सामाजिक व्यवस्था – सत्य, न्याय और धर्म के सिद्धांत दिए गए हैं।
  4. पर्यावरण चेतना – जल, पृथ्वी और वर्षा के महत्व को स्पष्ट किया गया है।
  5. आध्यात्मिक ज्ञान – अग्नि और सूर्य से आत्मज्ञान की प्रेरणा दी गई है।

🔹 निष्कर्ष

  • सप्तम मंडल ऋग्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें प्राकृतिक शक्तियाँ, धर्म, सत्य और जल पर विशेष बल दिया गया है।
  • इसमें इंद्र, वरुण, अग्नि, मित्र, मरुतगण, वसु की स्तुति की गई है।
  • यह मंडल सामाजिक और प्राकृतिक संतुलन पर जोर देता है।
  • इस मंडल के मंत्र यज्ञ, पर्यावरण संतुलन, आत्मज्ञान और समाज के नैतिक सिद्धांतों को दर्शाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष (श्लोक 54-78)

 यहां भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) के श्लोक 54 से 78 तक का अर्थ और व्याख्या दी गई है। इन श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्म...