श्रीकृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा अत्यंत प्रेरणादायक, रहस्यमयी और दिव्य है। उनका जीवन भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण है। श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है, और उनका जीवन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवता के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है।
जन्म कथा
कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा नगरी में कंस के कारावास में हुआ। कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को बंदी बना लिया था क्योंकि उसे आकाशवाणी से पता चला था कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। जब कृष्ण का जन्म हुआ, तो विष्णु की कृपा से वसुदेव जेल से बाहर निकल सके और उन्होंने कृष्ण को गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के पास छोड़ दिया।
बाललीलाएँ
गोकुल में श्रीकृष्ण ने अपनी बाललीलाओं से सबका मन मोह लिया।
- माखन चोरी: कृष्ण का माखन चुराने का प्रेमपूर्ण स्वभाव उनकी बाल सुलभ लीलाओं का अद्भुत उदाहरण है।
- कालिया नाग का वध: यमुना नदी में विषैले कालिया नाग का दमन कर कृष्ण ने गोकुलवासियों को भय से मुक्त किया।
- गोवर्धन पूजा: इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को आश्रय दिया।
कंस वध
जब कृष्ण किशोर अवस्था में पहुंचे, तो कंस ने उन्हें मारने के लिए कई राक्षस भेजे, लेकिन कृष्ण ने सभी का वध कर दिया। अंततः मथुरा जाकर उन्होंने कंस का वध किया और अपने माता-पिता को कारावास से मुक्त कराया।
द्वारका नगरी की स्थापना
कृष्ण ने मथुरा को कंस के आतंक से मुक्त किया, लेकिन जरासंध के बार-बार आक्रमण से बचाने के लिए उन्होंने द्वारका नगरी की स्थापना की और इसे समुद्र के बीच में बसाया।
महाभारत में भूमिका
श्रीकृष्ण का जीवन महाभारत से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने पांडवों का साथ दिया और धर्म की स्थापना के लिए मार्गदर्शन किया। महाभारत के युद्ध में कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, जिसमें कर्म, धर्म, भक्ति और ज्ञान का सार प्रस्तुत किया गया।
रुक्मिणी और अन्य विवाह
कृष्ण का विवाह रुक्मिणी से हुआ, जो उनकी परम भक्त थीं। इसके अलावा, उन्होंने सत्यभामा, जाम्बवती और अन्य राजकुमारियों से भी विवाह किया।
भगवान कृष्ण की शिक्षाएँ
श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के माध्यम से और गीता के उपदेशों में कई महत्वपूर्ण संदेश दिए:
- कर्म का महत्व: फल की चिंता किए बिना कर्म करते रहना चाहिए।
- भक्ति योग: भगवान में अटूट भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
- सांख्य योग: आत्मा अजर-अमर है, मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है।
मोक्ष और देह त्याग
अपनी लीलाओं के अंत में, श्रीकृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया। कहा जाता है कि एक बहेलिये के तीर से उनके पैर में चोट लगी और उन्होंने पृथ्वी से अपनी लीला समाप्त की।
श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन धर्म, भक्ति, कर्म और प्रेम का अद्वितीय उदाहरण है। उनकी शिक्षाएँ और लीलाएँ आज भी मानवता को प्रेरित करती हैं।
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