शनिवार, 28 अगस्त 2021

श्री श्री रविशंकर

 श्री श्री रविशंकर एक प्रमुख भारतीय आध्यात्मिक गुरु, ध्यान शिक्षक, और आर्ट ऑफ लिविंग (Art of Living) के संस्थापक हैं। वे एक प्रेरक वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जिन्होंने अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता, शांति, और मानवता की दिशा में मार्गदर्शन करना बना लिया। उनका ध्यान और साधना का तरीका प्राकृतिक सरलता और आधुनिकता का अद्भुत मिश्रण है, जो लाखों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला चुका है।

जीवन परिचय:

श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई 1956 को तमिलनाडु के Tirumakudalu नामक गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम Ravi Shankar है, लेकिन वे आध्यात्मिक दुनिया में श्री श्री रविशंकर के नाम से प्रसिद्ध हैं। वे 4 साल की उम्र में वेदों और शास्त्रों का अध्ययन करने लगे थे। अपने युवावस्था में ही, उन्होंने ध्यान और योग की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।

उनकी आध्यात्मिक यात्रा में विशेष मोड़ तब आया जब उन्हें श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रेरणा मिली। बाद में, उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की, जो एक संगठन है जो दुनिया भर में ध्यान, योग और जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों का प्रचार करता है।

श्री श्री रविशंकर की शिक्षाएँ और संदेश:

  1. आध्यात्मिकता और जीवन का उद्देश्य: श्री श्री रविशंकर का मानना है कि आध्यात्मिकता का उद्देश्य सिर्फ ध्यान या साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक तरीका है, जिससे हम अपने जीवन को सही दृष्टिकोण से देख सकते हैं। उनके अनुसार, जीवन का असली उद्देश्य संतुलन, शांति, और खुशी प्राप्त करना है, जिसे हम आध्यात्मिक जागरूकता के द्वारा पा सकते हैं।

    "आध्यात्मिकता का अर्थ है, अपने भीतर की शांतिपूर्ण स्थिति को महसूस करना और उसे हर स्थिति में बनाए रखना।"

    • संदेश: आध्यात्मिकता का उद्देश्य मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करना है।
  2. आर्ट ऑफ लिविंग (Art of Living): आर्ट ऑफ लिविंग एक संस्था है जिसे श्री श्री रविशंकर ने 1981 में स्थापित किया था। इसका उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाना है, साथ ही उन्हें जीवन के कठिन क्षणों में शांतिपूर्ण और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रशिक्षित करना है। इसके द्वारा, लाखों लोग ध्यान, योग, और सांस की तकनीकों का अभ्यास करते हैं।

    "आर्ट ऑफ लिविंग का उद्देश्य मानव जीवन को एक उच्च स्तर पर पहुँचाना और हर व्यक्ति में खुशहाली और शांति का संचार करना है।"

    • संदेश: जीवन को संतुलित और आनंदपूर्ण बनाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़ें और इसके साधन अपनाएँ।
  3. शांति और तनाव मुक्त जीवन: श्री श्री रविशंकर का मानना है कि तनाव और उदासी हमारे भीतर से निकलने वाली नकारात्मक विचारों और भावनाओं का परिणाम हैं। उनके अनुसार, ध्यान, सांस की प्रैक्टिस, और योग के माध्यम से हम अपने जीवन में शांति ला सकते हैं। उन्होंने सुदर्शन क्रिया (Sudarshan Kriya) को एक प्रमुख प्रैक्टिस के रूप में प्रस्तुत किया है, जो मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

    "सांस की गति पर ध्यान केंद्रित करना, आपकी पूरी मानसिक स्थिति को बदल सकता है।"

    • संदेश: सांस की तकनीकें हमारी मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करती हैं।
  4. धार्मिक सहिष्णुता और एकता: श्री श्री रविशंकर हमेशा धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के महत्व की बात करते हैं। वे मानते हैं कि धर्म या जाति के नाम पर किसी भी प्रकार का भेदभाव गलत है। उन्होंने हमेशा यह सिखाया कि दुनिया में प्रेम, शांति, और एकता का संदेश फैलाना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति और धर्म का लक्ष्य एक ही है—आध्यात्मिक उन्नति और मानवता की सेवा।

    "धर्म केवल एक रास्ता है, लेकिन लक्ष्य वही है: शांति और प्रेम।"

    • संदेश: धर्म भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सभी धर्मों का अंत लक्ष्य एक ही है—आध्यात्मिक उन्नति और प्रेम।
  5. प्राकृतिक जीवन और स्वास्थ्य: श्री श्री रविशंकर ने यह भी सिखाया है कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्राकृतिक जीवन शैली का पालन करना आवश्यक है। वे कहते हैं कि हमें अपनी आहार, जीवन के तरीके, और वातावरण को स्वस्थ बनाए रखना चाहिए, ताकि हम शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहें। उन्होंने प्राकृतिक भोजन और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन शैली को बढ़ावा दिया।

    "स्वास्थ्य केवल शरीर की स्थिति नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्थिति का भी परिणाम है।"

    • संदेश: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए, हमें प्राकृतिक जीवन जीने की आवश्यकता है।

श्री श्री रविशंकर के प्रमुख उद्धरण:

  1. "जब आप मुस्कुराते हैं, तो पूरी दुनिया मुस्कुराती है।"

    • संदेश: सकारात्मकता फैलाने के लिए हमें खुद से शुरुआत करनी होती है। एक साधारण मुस्कान भी वातावरण को बदल सकती है।
  2. "शांति सिर्फ बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि भीतर भी होनी चाहिए।"

    • संदेश: शांति का सबसे बड़ा स्रोत हमारी आंतरिक स्थिति है, इसलिए हमें इसे भीतर से विकसित करना चाहिए।
  3. "हर व्यक्ति के भीतर वह शक्ति है, जो उसे महान बना सकती है।"

    • संदेश: हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहिए और उसे सही दिशा में उपयोग करना चाहिए।
  4. "जीवन में खुश रहने का रहस्य है, हर परिस्थिति में खुश रहना।"

    • संदेश: खुशी किसी बाहरी चीज पर निर्भर नहीं होती, यह हमारे दृष्टिकोण पर आधारित होती है।

श्री श्री रविशंकर का योगदान:

  1. सुदर्शन क्रिया (Sudarshan Kriya): यह श्री श्री रविशंकर द्वारा विकसित एक विशिष्ट ध्यान और श्वास नियंत्रण तकनीक है, जिसे लाखों लोग मानसिक शांति, तनाव मुक्ति, और शारीरिक ताजगी के लिए अभ्यास करते हैं।

  2. आर्ट ऑफ लिविंग और समाज सेवा: श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से लाखों लोगों को तनावमुक्त जीवन जीने के लिए प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा, उनकी संस्था मानवता के सेवा कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में।

  3. शांति और सामूहिक ध्यान कार्यक्रम: श्री श्री रविशंकर ने कई देशों में शांति और सामूहिक ध्यान कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जहां हजारों लोग एकत्र होकर ध्यान करते हैं और शांति का संदेश फैलाते हैं।

  4. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने धर्मों के बीच सहिष्णुता और आपसी सम्मान को बढ़ावा दिया है। इसके लिए वे अंतरधार्मिक संवादों का आयोजन करते रहे हैं, जो विभिन्न धार्मिक विश्वासों के लोगों को एकजुट करने का काम करते हैं।

निष्कर्ष:

श्री श्री रविशंकर का जीवन हमें यह सिखाता है कि आध्यात्मिकता का उद्देश्य केवल आत्मज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि जीवन को पूरी तरह से आनंदमय, शांति और प्रेमपूर्ण बनाना है। उनका दृष्टिकोण यह है कि शांति और सकारात्मकता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाजिक परिवर्तन की भी कुंजी है।

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