शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

संपूर्ण रामायण: उत्तरकांड

 उत्तरकांड रामायण का अंतिम कांड है, जो श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद की घटनाओं, उनके परिवार के जीवन, और अंततः श्रीराम के अवतार की पूर्णता को वर्णित करता है। इस कांड में श्रीराम के शासनकाल के दौरान उनकी धार्मिक और शासकीय जिम्मेदारियों, सीता माता के निर्वासन, और राम के जीवन के अंतिम समय के बारे में वर्णन किया गया है।


उत्तरकांड का सारांश

1. श्रीराम का राज्याभिषेक:

  • श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, जहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ।
  • श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ और वे अयोध्या के राजा बने। उनके शासनकाल में अयोध्या समृद्ध और सुखी हो गई।
  • श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद उनके शासकीय कर्तव्यों और धार्मिक दायित्वों की शुरुआत होती है।

2. सीता का निर्वासन:

  • एक दिन, अयोध्या के नागरिकों ने सीता के बारे में कुछ अनर्गल बातें करना शुरू कर दीं, जो उनके पवित्रता पर प्रश्न उठाती थीं।
  • श्रीराम ने इस सामाजिक दबाव को महसूस किया और यह निर्णय लिया कि उन्हें सीता को निर्वासित करना होगा, हालांकि वे जानते थे कि सीता निर्दोष हैं।
  • सीता को श्रीराम ने वयोध्या से बाहर के आश्रम में भेज दिया, जहाँ माता सीता गर्भवती थीं।

3. लव और कुश का जन्म और शिक्षा:

  • सीता माता के आश्रम में लव और कुश, श्रीराम के पुत्रों का जन्म हुआ।
  • लव और कुश ने रामायण का पाठ किया और उन्हें अपने पिता के बारे में जानकारी मिली।
  • वे दोनों युद्ध में कुशल और वीर योद्धा बने।

4. लव और कुश का श्रीराम से मिलना:

  • सीता के निर्वासन के बाद, लव और कुश ने राम के दरबार में पहुँचकर उन्हें चुनौती दी।
  • उन्होंने राम के रथ से युद्ध किया और राक्षसों को हराया।
  • बाद में, जब श्रीराम ने इन्हें पहचान लिया, तो उन्होंने उन्हें अपनाया और उनका सम्मान किया।
  • यह घटना सीता के पवित्रता को प्रमाणित करने का एक साधन बन गई, क्योंकि दोनों पुत्र राम के वास्तविक ही थे।

5. सीता का धरती में समाहित होना:

  • सीता ने यह देखा कि अब राम के राज्य में शांति है, लेकिन उनके दिल में व्याकुलता और दुःख था।
  • अंत में, सीता ने धरती से आशीर्वाद प्राप्त किया और वह धरती में समाहित हो गईं
  • धरती ने सीता को अपने गर्भ में स्वीकार किया और इस प्रकार सीता का पुनर्मिलन पृथ्वी से हुआ।

6. श्रीराम का अंत और भगवान के साथ मिलन:

  • राम ने अपने परिवार के साथ अपने जीवन के उत्तरकाल में पूरी तरह से धर्म का पालन किया।
  • एक दिन, श्रीराम ने लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ, गंगा नदी के किनारे एक अंतिम यात्रा पर जाने का निर्णय लिया।
  • श्रीराम ने अपने दिव्य रूप में समुद्र में प्रवेश किया, और इसी प्रकार उनका अवतार समाप्त हुआ।
  • श्रीराम का लक्ष्मण और अन्य भाइयों के साथ मिलकर स्वर्गारोहण हुआ।

उत्तरकांड के प्रमुख संदेश

  1. धर्म का पालन:
    श्रीराम का जीवन और उनका निर्णय दिखाते हैं कि धर्म का पालन सच्चे राजा और आदर्श पुरुष का कर्तव्य होता है। उन्होंने अपनी पत्नी सीता के निर्वासन के बावजूद उनके प्रति अपने प्रेम और श्रद्धा को बनाए रखा।

  2. परिवार का आदर्श:
    श्रीराम का परिवार, जिसमें लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता और उनके पुत्र लव और कुश शामिल हैं, एक आदर्श परिवार का रूप है। उत्तरकांड में, परिवार के कर्तव्यों का निर्वाह और परिवार के प्रति निष्ठा की महत्वपूर्ण भूमिका है।

  3. न्याय और संतुलन:
    उत्तरकांड में श्रीराम ने अपने शासन में न्याय का पालन किया। उन्होंने सही निर्णय लिए, चाहे वह सीता का निर्वासन हो या लव और कुश का सम्मान। यह न्यायपूर्ण शासन का आदर्श प्रस्तुत करता है।

  4. त्याग और समर्पण:
    सीता का धरती में समाहित होना और श्रीराम का स्वर्गारोहण यह दिखाते हैं कि जीवन में त्याग और समर्पण का भी अपना महत्व होता है। उन्होंने अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाया और अंत में भगवान के साथ मिलन किया।


उत्तरकांड का महत्व

  • यह कांड जीवन के अंतिम चरणों में निर्णय लेने की कठिनाइयों, परिवार के कर्तव्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारियों का पालन करने का संदेश देता है।
  • इसमें भगवान श्रीराम के आदर्श, त्याग, और संतुलन की शिक्षा दी जाती है।
  • श्रीराम के स्वर्गारोहण के साथ ही रामायण का समापन होता है, जो जीवन के सर्वोत्तम सिद्धांतों और आदर्शों का पालन करने का उपदेश देता है।

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