राजा विश्वामित्र और कामधेनु की कथा
यह कथा महर्षि वशिष्ठ और राजा विश्वामित्र के बीच हुए संघर्ष को दर्शाती है, जिसमें कामधेनु गाय का महत्त्व और उसकी दिव्य शक्ति का वर्णन किया गया है।
कथा का आरंभ
🔹 राजा विश्वामित्र पहले एक शक्तिशाली और अहंकारी राजा थे। उन्हें अपनी शक्ति और सेना पर बहुत अभिमान था।
🔹 एक बार राजा विश्वामित्र अपने विशाल सैन्य दल के साथ जंगल में शिकार करने निकले। रास्ते में उन्होंने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में रुकने का निर्णय लिया।
🔹 महर्षि वशिष्ठ ने राजा और उनकी पूरी सेना का बड़े प्रेम और सम्मान के साथ स्वागत किया।
कामधेनु गाय का चमत्कार
🔹 महर्षि वशिष्ठ ने राजा और उनकी सेना को भोजन और आवास प्रदान किया।
🔹 राजा ने यह देखकर आश्चर्य व्यक्त किया कि महर्षि के पास इतना विशाल भोजन और सामग्री कहां से आई।
🔹 महर्षि वशिष्ठ ने बताया कि यह सब कामधेनु गाय की कृपा से संभव हुआ है।
🔹 कामधेनु गाय में दिव्य शक्ति थी, जिससे वह इच्छानुसार सभी चीजें उत्पन्न कर सकती थी।
राजा विश्वामित्र की लालसा
🔹 राजा विश्वामित्र कामधेनु की शक्ति से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से गाय को उन्हें देने की मांग की।
🔹 राजा ने सोचा कि कामधेनु उनके राज्य के लिए एक अनमोल संपत्ति होगी और इससे वह अजेय बन जाएंगे।
🔹 महर्षि वशिष्ठ ने यह कहकर इनकार कर दिया कि कामधेनु केवल एक गाय नहीं, बल्कि उनकी तपस्या और जीवन की आधार हैं।
🔹 उन्होंने कहा, "कामधेनु मेरी सेवा और साधना का हिस्सा है। इसे मैं किसी को नहीं दे सकता।"
संघर्ष का आरंभ
🔹 राजा विश्वामित्र ने महर्षि वशिष्ठ के इनकार से क्रोधित होकर कामधेनु को बलपूर्वक छीनने का प्रयास किया।
🔹 उन्होंने अपनी सेना को आदेश दिया कि वे कामधेनु को पकड़ लें।
🔹 कामधेनु ने महर्षि वशिष्ठ से कहा, "मुझे बचाइए। मैं अधर्म के स्पर्श को सहन नहीं कर सकती।"
🔹 महर्षि वशिष्ठ ने अपनी दिव्य शक्तियों से कामधेनु को आशीर्वाद दिया, जिससे वह एक विशाल सेना उत्पन्न कर सकी।
राजा विश्वामित्र की पराजय
🔹 कामधेनु द्वारा उत्पन्न सेना ने राजा विश्वामित्र की पूरी सेना को नष्ट कर दिया।
🔹 राजा विश्वामित्र स्वयं भी पराजित हुए और उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
🔹 इस पराजय के बाद, राजा विश्वामित्र ने यह समझा कि सांसारिक शक्ति से महर्षि वशिष्ठ की आध्यात्मिक शक्ति को हराया नहीं जा सकता।