शनिवार, 27 जुलाई 2019

भक्त प्रह्लाद की कथा – भक्ति, विश्वास और सत्य की विजय

 

🙏 भक्त प्रह्लाद की कथा – भक्ति, विश्वास और सत्य की विजय 🦁

प्रह्लाद की कहानी हमें अटूट विश्वास, भक्ति और धर्म की शक्ति सिखाती है। यह कथा बताती है कि सच्चे भक्त की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं और अत्याचारी का अंत निश्चित होता है।


👑 हिरण्यकश्यप का अहंकार और अत्याचार

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर राजा था। वह बहुत शक्तिशाली था और उसने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था।
📌 वरदान: "ना वह किसी मनुष्य से मरेगा, न किसी देवता से, न दिन में मरेगा, न रात में, न अंदर मरेगा, न बाहर, न किसी अस्त्र से मरेगा, न किसी शस्त्र से।"
📌 इस वरदान के कारण वह अजेय हो गया और स्वयं को ईश्वर मानने लगा।
📌 उसने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया।

लेकिन उसकी पत्नी कयाधु एक भगवान विष्णु की भक्त थी, और उनके पुत्र प्रह्लाद भी विष्णु के अनन्य भक्त बने।


👦 प्रह्लाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप का क्रोध

जब प्रह्लाद बड़ा हुआ, तो उसे शिक्षा के लिए गुरु के आश्रम में भेजा गया।
लेकिन प्रह्लाद हमेशा अपने गुरु को यही बताता –
📌 "भगवान विष्णु ही सच्चे भगवान हैं। उन्हीं की भक्ति करनी चाहिए।"
📌 "ईश्वर सर्वत्र हैं और वे हर जीव में निवास करते हैं।"

जब हिरण्यकश्यप को यह पता चला, तो वह क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद से पूछा –
"क्या तुम्हारे भगवान विष्णु मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं?"

प्रह्लाद ने उत्तर दिया –
"हाँ, पिताजी! भगवान विष्णु ही सबसे शक्तिशाली हैं। वे सब जगह हैं और वे ही हमें जीवन देते हैं।"

📌 यह सुनकर हिरण्यकश्यप आगबबूला हो गया और उसने अपने पुत्र को मारने का आदेश दे दिया।


😱 प्रह्लाद पर अत्याचार और भगवान की रक्षा

हिरण्यकश्यप ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे प्रह्लाद को मार डालें, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की।

1️⃣ प्रह्लाद को पहाड़ से गिराया गया, लेकिन वह सुरक्षित रहा।
2️⃣ उसे विष पिलाया गया, लेकिन विष अमृत बन गया।
3️⃣ उसे नागों के बीच फेंका गया, लेकिन नागों ने उसे नहीं डँसा।
4️⃣ उसे तलवार से काटने की कोशिश की गई, लेकिन तलवार नहीं चली।

📌 हर बार भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा की, क्योंकि उसकी भक्ति सच्ची थी और उसका विश्वास अटूट था।


🔥 होलिका दहन – भक्त प्रह्लाद की विजय

📜 हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को एक वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी।
📌 हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे, ताकि वह जल जाए।
📌 लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और स्वयं होलिका जलकर राख हो गई।
📌 यही घटना ‘होलिका दहन’ के रूप में मनाई जाती है।


🦁 भगवान नरसिंह का अवतार और हिरण्यकश्यप का अंत

📜 एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से फिर पूछा –
"अगर तुम्हारे भगवान हर जगह हैं, तो क्या वे इस खंभे में भी हैं?"

प्रह्लाद ने निडर होकर कहा –
"हाँ, भगवान इस खंभे में भी हैं!"

📌 यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने गुस्से में खंभे पर प्रहार किया।
📌 खंभा टूटते ही भगवान विष्णु ‘नरसिंह अवतार’ में प्रकट हुए।
📌 वे आधे सिंह और आधे मानव के रूप में थे – न पूरी तरह मनुष्य, न पूरी तरह पशु।
📌 उन्होंने हिरण्यकश्यप को शाम के समय (न दिन, न रात), राजमहल के द्वार पर (न अंदर, न बाहर), अपने नाखूनों से (न अस्त्र, न शस्त्र) मार डाला।


📌 कहानी से मिली सीख

सच्ची भक्ति और विश्वास की जीत हमेशा होती है।
अत्याचारी का अंत निश्चित है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
भगवान अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं।
अहंकार का नाश निश्चित है, और सत्य की सदा विजय होती है।

🙏 "भक्त प्रह्लाद की कथा हमें सिखाती है कि भगवान पर सच्चा विश्वास रखने वालों को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता!" 🙏

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