शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

चरक संहिता – आयुर्वेद का महान ग्रंथ

 

चरक संहिता – आयुर्वेद का महान ग्रंथ

चरक संहिता (Charaka Saṁhitā) भारतीय चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे आयुर्वेद का आधार कहा जाता है, क्योंकि इसमें रोगों के कारण, लक्षण, निदान, उपचार, औषधियाँ, आहार-विहार और स्वस्थ जीवनशैली का विस्तृत वर्णन मिलता है।

यह ग्रंथ मुख्य रूप से "कायचिकित्सा" (आंतरिक चिकित्सा) पर केंद्रित है और इसे ऋषि चरक ने संकलित किया था। चरक संहिता के ज्ञान का स्रोत अग्निवेश तंत्र है, जो स्वयं भगवान अत्रि और ऋषि पतंजलि की परंपरा से प्राप्त हुआ था।


🔹 चरक संहिता का संक्षिप्त परिचय

वर्गविवरण
ग्रंथ का नामचरक संहिता (Charaka Saṁhitā)
रचनाकारऋषि चरक (संशोधित रूप में)
मूल स्रोतअग्निवेश तंत्र (ऋषि अग्निवेश द्वारा रचित)
मुख्य विषयकायचिकित्सा (आंतरिक चिकित्सा)
संरचना8 खंड, 120 अध्याय
भाषासंस्कृत
महत्वआयुर्वेद का सबसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथ
सम्बंधित ग्रंथसुश्रुत संहिता (शल्य चिकित्सा पर), अष्टांग हृदय (वाग्भट द्वारा)

👉 चरक संहिता में रोगों की चिकित्सा के साथ-साथ स्वास्थ्य रक्षा और दीर्घायु का भी गहन अध्ययन किया गया है।


🔹 चरक संहिता की संरचना

चरक संहिता में आयुर्वेद को आठ भागों (अष्टांग आयुर्वेद) में विभाजित किया गया है:

खंड (भाग)विषय
सूत्रस्थानचिकित्सा के मूल सिद्धांत, आहार, दिनचर्या, ऋतुचर्या
निदानस्थानरोगों के कारण, लक्षण और निदान की विधियाँ
विमानस्थानऔषधियों, दवाओं और प्रयोग विधियों का वर्णन
शारीरस्थानमानव शरीर की संरचना, भ्रूण विकास और जीवन विज्ञान
इंद्रियस्थानइंद्रियों (पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ) के रोग और उपचार
चिकित्सास्थानविभिन्न रोगों की चिकित्सा पद्धति
कल्पस्थानऔषधियों और विषनाशक उपचार
सिद्धिस्थानचिकित्सा पद्धतियों की सिद्धि और उपचार की सफलता

👉 चरक संहिता में शरीर, स्वास्थ्य और चिकित्सा के संपूर्ण विज्ञान को समाहित किया गया है।


🔹 चरक संहिता के प्रमुख विषय

1️⃣ स्वास्थ्य और दीर्घायु के नियम (स्वस्थ जीवनशैली)

  • चरक संहिता में स्वस्थ जीवनशैली के लिए दिनचर्या (दैनिक नियम) और ऋतुचर्या (मौसमी नियम) दिए गए हैं।
  • इसमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन बनाए रखने पर बल दिया गया है।

📖 श्लोक (चरक संहिता, सूत्रस्थान 1.41)

"धर्मार्थकाममोक्षाणां आरोग्यं मूलमुत्तमम्।"
📖 अर्थ: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम आधार है।

🔹 मुख्य सिद्धांत:

  • दिनचर्या: प्रातः जल्दी उठना, योग, स्नान, संतुलित आहार।
  • ऋतुचर्या: हर मौसम के अनुसार आहार और दिनचर्या का पालन।
  • त्रिदोष सिद्धांत: वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखना।

👉 चरक संहिता के अनुसार, अच्छा स्वास्थ्य ही सभी सुखों की जड़ है।


2️⃣ त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ का संतुलन)

  • चरक संहिता में त्रिदोष – वात, पित्त और कफ को शरीर के तीन महत्वपूर्ण घटक बताया गया है।
  • इन तीनों का संतुलन स्वास्थ्य बनाए रखता है, और असंतुलन होने पर रोग उत्पन्न होते हैं।
दोषगुण और कार्यअसंतुलन के प्रभाव
वात (वायु तत्व)गति, हल्कापन, सूखापनजोड़ो का दर्द, गैस, अनिद्रा
पित्त (अग्नि तत्व)पाचन, गर्मी, बुद्धिएसिडिटी, त्वचा रोग, क्रोध
कफ (जल तत्व)स्नेहन, पोषण, स्थिरतामोटापा, ठंड लगना, सुस्ती

📖 श्लोक (चरक संहिता, सूत्रस्थान 1.57)

"वायुः पित्तं कफश्चेति त्रयो दोषाः शरीरगाः।"
📖 अर्थ: वात, पित्त और कफ शरीर के तीन दोष हैं।

👉 त्रिदोष संतुलन के लिए आहार, दिनचर्या और औषधियाँ अपनाने की सलाह दी गई है।


3️⃣ रोगों का निदान और चिकित्सा

  • चरक संहिता में आंतरिक और बाहरी रोगों का विस्तार से वर्णन है।
  • इसमें 600 से अधिक औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का उल्लेख मिलता है।

📖 श्लोक (चरक संहिता, चिकित्सास्थान 1.1)

"सर्वे रोगा दोषैः दुष्टैः देहे सञ्जायन्ते।"
📖 अर्थ: सभी रोग दोषों (वात, पित्त, कफ) के असंतुलन से उत्पन्न होते हैं।

🔹 रोगों के प्रकार:

  • पाचन तंत्र के रोग: अपच, कब्ज, अजीर्ण।
  • मानसिक रोग: चिंता, डिप्रेशन, अनिद्रा।
  • चर्म रोग: कुष्ठ, एलर्जी, फोड़े-फुंसी।
  • श्वसन रोग: दमा, सर्दी-खांसी, जुकाम।

👉 चरक संहिता में प्रत्येक रोग के लिए विशेष जड़ी-बूटियों और चिकित्सा पद्धतियों का उल्लेख मिलता है।


4️⃣ औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ

  • चरक संहिता में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों का विस्तृत वर्णन है।
  • कई औषधियाँ आज भी आधुनिक चिकित्सा में प्रयोग की जाती हैं।
औषधिलाभ
गिलोय (Tinospora Cordifolia)रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।
अश्वगंधा (Withania Somnifera)बल, वीर्य और मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए।
ब्राह्मी (Bacopa Monnieri)स्मरण शक्ति और मानसिक तनाव कम करने के लिए।
हल्दी (Curcuma Longa)सूजन, चोट और संक्रमण से बचाव।

👉 चरक संहिता की औषधियाँ आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग होती हैं।


🔹 निष्कर्ष

  • चरक संहिता आयुर्वेद का सबसे प्राचीन और व्यापक ग्रंथ है।
  • इसमें स्वास्थ्य, जीवनशैली, रोगों का उपचार, औषधियाँ, योग और आहार पर गहन ज्ञान है।
  • यह ग्रंथ आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का आधार है।

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