शनिवार, 29 सितंबर 2018

अथर्ववेद – ज्ञान, चिकित्सा और रहस्यमय विज्ञान का वेद

 

अथर्ववेद – ज्ञान, चिकित्सा और रहस्यमय विज्ञान का वेद

अथर्ववेद (Atharvaveda) चार वेदों में से चौथा वेद है। इसे "ज्ञान और रहस्य का वेद" कहा जाता है क्योंकि इसमें आयुर्वेद, तंत्र, योग, आध्यात्म, रोग निवारण, राजधर्म, राजनीति, कृषि और सामाजिक जीवन से जुड़ी विधियाँ शामिल हैं। यह वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद की तुलना में अधिक लौकिक और प्रायोगिक ज्ञान पर केंद्रित है।


🔹 अथर्ववेद की विशेषताएँ

वर्ग विवरण
अर्थ "अथर्व" का अर्थ है ऋषि अथर्वा द्वारा संकलित ज्ञान, जो कि धार्मिक, चिकित्सा और तांत्रिक अनुष्ठानों से संबंधित है।
अन्य नाम ब्रह्मवेद, क्षत्रवेद
मुख्य ऋषि ऋषि अथर्वा, अंगिरस, भृगु, कश्यप
मुख्य विषय चिकित्सा, तंत्र-मंत्र, योग, राजनीति, कृषि, समाज व्यवस्था, आध्यात्म
संरचना 20 कांड (अध्याय), 730 सूक्त, 6000+ मंत्र
मुख्य देवता अग्नि, इंद्र, सोम, वरुण, पृथ्वी, सूर्य, यम, रुद्र (शिव)

👉 अथर्ववेद में अन्य वेदों की तरह यज्ञीय कर्मकांड कम और लोककल्याणकारी ज्ञान अधिक मिलता है।


🔹 अथर्ववेद की संरचना

1️⃣ संहिता (मंत्र भाग)

  • 20 कांड, 730 सूक्त और 6000+ मंत्रों का संकलन।
  • इसमें रोगों से मुक्ति, रक्षा तंत्र, जड़ी-बूटियों का उपयोग, राजधर्म, तांत्रिक क्रियाएँ, सामाजिक व्यवस्थाएँ और योग शामिल हैं।

2️⃣ ब्राह्मण ग्रंथ

  • "गोपथ ब्राह्मण" (Atharvaveda का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ)।
  • यज्ञों और अनुष्ठानों के नियमों का वर्णन।

3️⃣ उपनिषद

  • "मांडूक्य उपनिषद" – ओंकार (ॐ) और अद्वैत वेदांत पर केंद्रित।
  • "प्रश्नोपनिषद" – ब्रह्मज्ञान और आत्मा से संबंधित प्रश्नों का उत्तर।
  • "मुंडक उपनिषद" – "सत्यं एव जयते" (सत्य की ही जीत होती है) का स्रोत।

👉 अथर्ववेद से अद्वैत वेदांत, तंत्र, योग और आयुर्वेद का गहरा संबंध है।


🔹 अथर्ववेद के प्रमुख विषय

1️⃣ चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेद का आधार

  • अथर्ववेद को आयुर्वेद का मूल स्रोत माना जाता है।
  • इसमें जड़ी-बूटियों और मंत्रों द्वारा रोग निवारण का उल्लेख है।
  • शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के भी कई संदर्भ मिलते हैं।

📖 मंत्र (अथर्ववेद 4.13.7)

"औषधयः सं वदन्ति।"
📖 अर्थ: औषधियाँ (जड़ी-बूटियाँ) हमारे साथ संवाद करती हैं और हमें स्वस्थ बनाती हैं।

👉 चरक संहिता और सुश्रुत संहिता की जड़ें अथर्ववेद में मिलती हैं।


2️⃣ मंत्र और तंत्रविद्या (रक्षा तंत्र)

  • इसमें रोग निवारण, संकट रक्षा, शत्रु नाश और जीवन में सुख-शांति के लिए विशेष मंत्र दिए गए हैं।
  • भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति, नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के उपाय मिलते हैं।

📖 मंत्र (अथर्ववेद 7.76.1)

"त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।"
📖 अर्थ: यह महामृत्युंजय मंत्र भगवान रुद्र की स्तुति करता है और मृत्यु पर विजय पाने में सहायक है।

👉 अथर्ववेद को "तांत्रिक वेद" भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कई रहस्यमय और तांत्रिक सिद्धियाँ वर्णित हैं।


3️⃣ योग और ध्यान

  • अथर्ववेद में प्राणायाम, ध्यान और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए गए हैं।
  • यह अष्टांग योग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि) की नींव रखता है।

📖 मंत्र (मांडूक्य उपनिषद – अथर्ववेद)

"ॐ इत्येतदक्षरं ब्रह्म।"
📖 अर्थ: ॐ ही ब्रह्म (परमसत्य) है।

👉 योग और ध्यान में उपयोग किए जाने वाले कई मंत्र अथर्ववेद से लिए गए हैं।


4️⃣ राजनीति और राज्य प्रशासन

  • इसमें राजा के कर्तव्य, प्रजा के अधिकार, न्याय और प्रशासन का उल्लेख मिलता है।
  • युद्ध नीति, कूटनीति और राजधर्म का विस्तृत वर्णन है।

📖 मंत्र (अथर्ववेद 3.5.6)

"राजा राष्ट्रस्य करणम्।"
📖 अर्थ: राजा राष्ट्र की रीढ़ होता है।

👉 चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र में वर्णित राजनीति के सिद्धांत अथर्ववेद से प्रभावित हैं।


5️⃣ कृषि और अर्थव्यवस्था

  • इसमें कृषि, व्यापार, समाज संगठन और धन-संपत्ति के सिद्धांत मिलते हैं।
  • धन, फसल, व्यापार और जल प्रबंधन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

📖 मंत्र (अथर्ववेद 6.30.1)

"अन्नं बहु कुरुते।"
📖 अर्थ: अन्न (खाद्य) को अधिक से अधिक उत्पन्न करो।

👉 अथर्ववेद में फसल उत्पादन, जल संरक्षण और व्यापार नीति पर कई उल्लेख मिलते हैं।


🔹 अथर्ववेद का महत्व

क्षेत्र योगदान
आयुर्वेद चिकित्सा, रोग निवारण, जड़ी-बूटियों की जानकारी
राजनीति राजा के कर्तव्य, प्रजा का अधिकार, युद्ध नीति
योग और ध्यान प्राणायाम, ध्यान, मोक्ष प्राप्ति के मार्ग
तंत्र-मंत्र रक्षा तंत्र, नकारात्मक शक्तियों से बचाव
अर्थशास्त्र कृषि, व्यापार, जल प्रबंधन, आर्थिक नीति

👉 अथर्ववेद विज्ञान, चिकित्सा, राजनीति और आध्यात्म का अद्भुत संगम है।


🔹 निष्कर्ष

  • अथर्ववेद एक ऐसा वेद है, जिसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञान दोनों समाहित हैं।
  • यह आयुर्वेद, तंत्र-मंत्र, योग, राजनीति, कृषि और सामाजिक व्यवस्थाओं का मूल स्रोत है।
  • अन्य वेदों की तुलना में इसमें अध्यात्म के साथ-साथ व्यावहारिक जीवन के लिए भी ज्ञान दिया गया है।
  • आज भी अथर्ववेद का उपयोग चिकित्सा, योग, ध्यान और सामाजिक व्यवस्थाओं में किया जाता है।

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