शनिवार, 9 सितंबर 2023

पूर्ण कुंभ

 पूर्ण कुंभ मेला

पूर्ण कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े और पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है। इसका आयोजन चार पवित्र स्थलों पर क्रमवार किया जाता है: हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक। इसे "पूर्ण कुंभ" कहा जाता है क्योंकि यह ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर चक्र पूर्ण होने पर होता है।


पूर्ण कुंभ का महत्व

पूर्ण कुंभ मेले का विशेष महत्व है, क्योंकि यह चार पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और क्षिप्रा) के किनारे आयोजित होता है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


पूर्ण कुंभ का आयोजन स्थल

चार स्थानों पर पूर्ण कुंभ मेला आयोजित होता है, जिनका धार्मिक महत्व पौराणिक कथाओं में वर्णित है:

  1. हरिद्वार: गंगा नदी के किनारे।
  2. प्रयागराज (इलाहाबाद): गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर।
  3. उज्जैन: क्षिप्रा नदी के किनारे।
  4. नासिक: गोदावरी नदी के किनारे।

पूर्ण कुंभ के ज्योतिषीय आधार

पूर्ण कुंभ मेले का समय ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार निर्धारित किया जाता है।

  • जब बृहस्पति और सूर्य विशेष राशियों में प्रवेश करते हैं, तब यह आयोजन किया जाता है।
  • स्थान और समय का निर्धारण ग्रहों की इन विशेष स्थितियों पर निर्भर करता है:
    • हरिद्वार: सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि।
    • प्रयागराज: सूर्य मकर राशि और बृहस्पति वृषभ राशि।
    • उज्जैन: सूर्य मेष राशि और बृहस्पति सिंह राशि।
    • नासिक: सूर्य सिंह राशि और बृहस्पति सिंह राशि।

पूर्ण कुंभ का धार्मिक महत्व

  1. पौराणिक कथा:
    ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इन स्थानों पर स्नान को पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया।

  2. स्नान का महत्व:
    पूर्ण कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करना आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति का प्रतीक है।

  3. अध्यात्म और साधना:
    कुंभ मेले में विभिन्न साधु-संतों, अखाड़ों और योगियों का समागम होता है, जो अध्यात्म और धर्म का प्रचार करते हैं।


पूर्ण कुंभ की विशेषता

  • यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है।
  • करोड़ों श्रद्धालु, साधु, नागा साधु और विदेशी पर्यटक इसमें भाग लेते हैं।
  • कुंभ मेला न केवल धर्म का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और परंपरा का प्रतीक भी है।

अगला पूर्ण कुंभ मेला

अगला पूर्ण कुंभ मेला 2025 में प्रयागराज में आयोजित होगा। इसकी तैयारियां बहुत पहले से शुरू हो जाती हैं, क्योंकि इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

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