शनिवार, 9 जुलाई 2022

परकाय प्रवेश (Parakaya Pravesh) – Entering Another Body (किसी अन्य शरीर में प्रवेश करने की शक्ति)

 

🔱 परकाय प्रवेश (Parakaya Pravesh) – Entering Another Body (किसी अन्य शरीर में प्रवेश करने की शक्ति) 🌿✨

परकाय प्रवेश एक अत्यधिक रहस्यमय और अद्भुत सिद्धि है, जो साधक को किसी अन्य व्यक्ति, प्राणी या जीव के शरीर में प्रवेश करने की शक्ति प्रदान करती है।
🔹 यह सिद्धि साधक को अपनी आत्मा या चेतना को दूसरे शरीर में स्थानांतरित करने और उसमें प्रवेश करने की क्षमता देती है।
🔹 परकाय प्रवेश से साधक किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में जा सकता है, उसके विचारों, भावनाओं और कार्यों को नियंत्रित कर सकता है, या किसी दिव्य शक्ति या प्राणी के रूप में कार्य कर सकता है।

अब हम परकाय प्रवेश सिद्धि के रहस्यों, इसके प्रभाव, ऐतिहासिक उदाहरणों और साधना विधियों पर गहराई से चर्चा करेंगे।


🔱 1️⃣ परकाय प्रवेश सिद्धि क्या है? (What is Parakaya Pravesh?)

"परकाय" का अर्थ है "किसी अन्य शरीर", और "प्रवेश" का अर्थ है "प्रविष्ट होना"
✔ इस सिद्धि के द्वारा साधक अपनी आत्मा या चेतना को किसी अन्य शरीर में भेज सकता है
✔ साधक किसी और के शरीर में प्रवेश कर सकता है, चाहे वह किसी अन्य मानव का शरीर हो, पशु या पक्षी का शरीर हो, या यहां तक कि किसी दिव्य प्राणी का शरीर हो।
✔ यह सिद्धि साधक को किसी अन्य शरीर के माध्यम से कार्य करने, अनुभव प्राप्त करने और उस शरीर के विचारों और कार्यों को नियंत्रित करने की शक्ति देती है।

👉 "श्रीमद्भागवत" में कहा गया है:
"जो साधक परकाय प्रवेश की सिद्धि प्राप्त करता है, वह दूसरों के शरीर में जाकर उनका कार्य करता है।"

🔹 परकाय प्रवेश सिद्धि से साधक अपनी चेतना को विभिन्न रूपों में और विभिन्न शरीरों में अनुभव कर सकता है।


🔱 2️⃣ परकाय प्रवेश सिद्धि के अद्भुत प्रभाव (Magical Effects of Parakaya Pravesh)

किसी अन्य शरीर में प्रवेश (Entering Another Body) – साधक अपनी आत्मा को किसी अन्य व्यक्ति, पशु, या प्राणी के शरीर में प्रवेश करा सकता है।
दूसरे के विचारों को नियंत्रित करना (Controlling Another’s Thoughts) – साधक उस शरीर के माध्यम से दूसरे के विचारों, कार्यों और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है।
भूत, भविष्य और वर्तमान का अनुभव (Experiencing Past, Present, and Future) – साधक अन्य शरीर में रहते हुए भूतकाल, वर्तमान और भविष्य को देख सकता है
शरीर की स्थिति बदलना (Changing the State of the Body) – साधक उस शरीर को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकता है, या उसमें परिवर्तन ला सकता है
रहस्यमय अनुभव (Mystical Experiences) – साधक दूसरे शरीर के माध्यम से रहस्यमय और अदृश्य घटनाओं को देख सकता है, जैसे दिव्य रूपों का दर्शन, प्रकृति की गहराई का अनुभव आदि।


🔱 3️⃣ परकाय प्रवेश सिद्धि प्राप्त करने वाले ऐतिहासिक महापुरुष

📌 1. भगवान शिव और परकाय प्रवेश सिद्धि

🔹 भगवान शिव ने अपनी परकाय प्रवेश सिद्धि का उपयोग कई बार किया।
🔹 वे आध्यात्मिक और भौतिक रूप से विभिन्न शरीरों में प्रवेश करते थे और सृष्टि की स्थिति को नियंत्रित करते थे।
🔹 शिव के दिव्य रूप में परिवर्तन और सृष्टि के कार्यों में अपनी शक्ति का उपयोग करने का उदाहरण मिलता है।

👉 "शिव महापुराण" में कहा गया है:
"भगवान शिव ने अपनी परकाय प्रवेश सिद्धि से विभिन्न रूपों में प्रवेश किया और ब्रह्मांड की स्थिति को नियंत्रित किया।"


📌 2. ऋषि मार्कंडेय और परकाय प्रवेश सिद्धि

🔹 ऋषि मार्कंडेय को भी परकाय प्रवेश सिद्धि प्राप्त थी, और वे किसी भी जीव के शरीर में प्रवेश कर सकते थे।
🔹 मार्कंडेय ने काल के प्रभाव से बचने के लिए यह सिद्धि प्राप्त की और एक दूसरे शरीर में प्रवेश किया ताकि वे अमर बने रहें।

👉 "मार्कंडेय पुराण" में उल्लेख है:
"ऋषि मार्कंडेय ने अपनी आत्मा को अन्य शरीर में प्रवेश करवा लिया, जिससे वे मृत्यु से परे हो गए।"


📌 3. हनुमानजी और परकाय प्रवेश सिद्धि

🔹 हनुमानजी ने अपनी परकाय प्रवेश सिद्धि का प्रयोग कई बार किया था।
🔹 उन्होंने लंका में प्रवेश करने के लिए अपने रूप को छोटा किया, और कई रूपों में विभाजित होकर राक्षसों से युद्ध किया।
🔹 हनुमानजी ने लक्ष्मण को जीवन देने के लिए भी एक शरीर में प्रवेश किया था।

👉 "रामायण" में लिखा गया है:
"हनुमानजी ने अपनी सिद्धि से छोटे रूप में प्रवेश किया और फिर विशाल रूप में प्रकट हुए।"


🔱 4️⃣ परकाय प्रवेश सिद्धि प्राप्त करने की साधना (Practices to Attain Parakaya Pravesh Siddhi)

📌 1. कुंडलिनी जागरण और आज्ञा चक्र ध्यान (Kundalini Awakening & Ajna Chakra Meditation)

परकाय प्रवेश सिद्धि का संबंध "आज्ञा चक्र" (Third Eye Chakra) से है।
✔ जब यह चक्र पूरी तरह जाग्रत हो जाता है, तो साधक अपने मन और आत्मा को किसी अन्य शरीर में प्रवेश करवा सकता है

कैसे करें?
आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें।
कुंडलिनी जागरण के लिए त्राटक और प्राणायाम का अभ्यास करें।
"ॐ परकाय प्रवेश ह्रीं स्वाहा" मंत्र का जाप करें।


📌 2. "परकाय प्रवेश ध्यान" (Body Transfer Meditation)

✔ यह ध्यान साधना किसी अन्य शरीर में प्रवेश करने के लिए की जाती है।

कैसे करें?
✔ शांति से बैठें और अपने शरीर को छोड़कर किसी अन्य शरीर में प्रवेश करने की कल्पना करें।
✔ महसूस करें कि आपकी आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश कर रही है और उस शरीर के सभी अनुभवों को महसूस करें।
✔ प्रतिदिन 20-30 मिनट इस साधना का अभ्यास करें।


📌 3. मंत्र साधना (Mantra Chanting for Parakaya Pravesh Siddhi)

✔ विशिष्ट मंत्रों से परकाय प्रवेश सिद्धि जाग्रत की जा सकती है।

मंत्र:
"ॐ परकाय प्रवेश ह्रीं स्वाहा"
"ॐ नमः शिवाय परकाय प्रवेश सिद्धिं यच्छतु"
✔ इन मंत्रों का रोज़ 108 बार जाप करें
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 3-6 बजे) में साधना करें


📌 4. प्राणायाम और श्वास साधना (Pranayama & Breath Control)

प्राणायाम और श्वास साधना से मन की स्थिरता और आत्मा के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे परकाय प्रवेश की शक्ति जाग्रत हो सकती है।
भ्रामरी, अनुलोम-विलोम और कपालभाति प्राणायाम से साधक अपनी मानसिक ऊर्जा को बढ़ा सकता है।

कैसे करें?
प्राणायाम की विधियों का अभ्यास करें।
कपालभाति प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम करें।


🔱 5️⃣ परकाय प्रवेश सिद्धि प्राप्त करने के लिए आवश्यक नियम (Rules for Attaining Parakaya Pravesh Siddhi)

गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें – बिना संयम के सिद्धियाँ प्राप्त नहीं हो सकतीं।
सात्त्विक आहार लें – शरीर को शुद्ध रखें।
सत्य, अहिंसा और आत्मसंयम का पालन करें।


🌟 निष्कर्ष – परकाय प्रवेश सिद्धि प्राप्त करने का गूढ़ रहस्य

परकाय प्रवेश सिद्धि साधक को किसी अन्य शरीर में प्रवेश करने की शक्ति देती है
भगवान शिव, हनुमानजी और ऋषि मार्कंडेय ने इस सिद्धि का उपयोग किया था।
कुंडलिनी जागरण, आज्ञा चक्र ध्यान, मंत्र जाप और ध्यान साधना से इसे प्राप्त किया जा सकता है
गुरु के बिना इस सिद्धि को प्राप्त करना अत्यंत कठिन है

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