शनिवार, 14 मई 2022

दूरदर्शन (Dūr Darshan) – Remote Viewing (दूरस्थ दर्शन)

 

🔱 दूरदर्शन (Dūr Darshan) – Remote Viewing (दूरस्थ दर्शन) 🌿✨

दूरदर्शन या "Remote Viewing" एक अलौकिक क्षमता है, जिसमें साधक किसी भी स्थान पर बिना वहां physically उपस्थित हुए, दृष्टि और ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
🔹 यह सिद्धि साधक को समय और स्थान की सीमाओं को पार कर किसी भी घटना, वस्तु, या स्थिति को देख पाने की क्षमता देती है।
🔹 इसे "अलौकिक दृष्टि" (Clairvoyance) भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें साधक अपने पांच इंद्रियों के पार जाकर सुपरनेचुरल दृष्टि का अनुभव करता है।
🔹 यह सिद्धि मन के स्तर पर किसी भी वस्तु या स्थान के दृश्य को साक्षात्कार करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।

अब हम दूरदर्शन सिद्धि के रहस्यों, इसके प्रभाव, ऐतिहासिक उदाहरणों और साधना विधियों पर गहराई से चर्चा करेंगे।


🔱 1️⃣ दूरदर्शन सिद्धि क्या है? (What is Dūr Darshan?)

"दूरदर्शन" का शाब्दिक अर्थ है "दूर से देखना"
✔ यह सिद्धि साधक को किसी भी स्थान, समय, या स्थिति को दूर से देख पाने की शक्ति देती है।
✔ साधक बिना वहां मौजूद हुए, किसी भी घटना, स्थिति या जगह के दृश्य देख सकता है
✔ यह सिद्धि साधक को वर्तमान, भविष्य, और अतीत के दृश्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

👉 "श्रीमद्भागवत" में कहा गया है:
"सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, सर्वत्र दृष्टि के साथ, दूरदर्शन की क्षमता प्राप्त होती है।"

🔹 इस सिद्धि के द्वारा, साधक समय और स्थान की सीमा से परे जाकर किसी भी स्थिति को देख सकता है


🔱 2️⃣ दूरदर्शन सिद्धि के अद्भुत प्रभाव (Magical Effects of Dūr Darshan)

भविष्य देखना (Seeing the Future) – साधक भविष्य की घटनाओं को देख सकता है।
दूरस्थ स्थानों का दर्शन (Vision of Remote Locations) – साधक किसी भी स्थान पर जाकर उसकी स्थिति देख सकता है।
अतीत का दर्शन (Seeing the Past) – किसी भी घटना के अतीत को देख सकता है।
दूसरों के विचारों को जानना (Reading Minds) – साधक दूसरों के मन की बातों को जान सकता है।
ग्रहों और नक्षत्रों का दर्शन (Seeing the Planets & Stars) – साधक ब्रह्मांडीय घटनाओं और ग्रहों की स्थिति को देख सकता है।


🔱 3️⃣ दूरदर्शन सिद्धि प्राप्त करने वाले ऐतिहासिक महापुरुष

📌 1. श्री कृष्ण और दूरदर्शन सिद्धि

🔹 श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से अर्जुन को विराट रूप दिखाया, जिससे अर्जुन ने संपूर्ण ब्रह्मांड को एक साथ देखा
🔹 उन्होंने अपनी दूरदर्शन शक्ति से अर्जुन को यह दृश्य दिखाया था।

👉 "भगवद गीता" में श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
"पश्यामि देवि देवेश्वरि सर्वं विश्वं यथाऽत्मनम्।"
(हे अर्जुन, मैं तुम्हें अपनी दिव्य दृष्टि देता हूँ, जिससे तुम सम्पूर्ण ब्रह्मांड को देख सको।)


📌 2. ऋषि व्यास और दूरदर्शन सिद्धि

🔹 ऋषि व्यास ने दूरदर्शन सिद्धि के माध्यम से ब्रह्मा, विष्णु और महेश के विभिन्न रूपों को देखा और उनका वर्णन किया।
🔹 उन्होंने महाभारत में घटित घटनाओं को पहले से देखा था।

👉 "महाभारत" में कहा गया है:
"व्यास जी ने अपनी शक्ति से भविष्यवाणी की और घटित होने वाली घटनाओं का दर्शन किया।"


📌 3. संत कबीर और दूरदर्शन सिद्धि

🔹 संत कबीर ने अपनी ध्यान साधना से अलौकिक दृष्टि प्राप्त की थी, जिससे उन्होंने अदृश्य शक्तियों और संसार के गूढ़ रहस्यों को देखा।
🔹 वे आध्यात्मिक स्तर पर किसी भी घटना के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते थे।

👉 "कबीर बानी" में कहा गया है:
"जिन्हें देखे बिना हम कहें, उन्हें देख के समझाए।"
(कबीर ने उन चीजों को देखा और समझा, जिनका कोई दृष्टि से संबंध नहीं था।)


🔱 4️⃣ दूरदर्शन सिद्धि प्राप्त करने की साधना (Practices to Attain Dūr Darshan Siddhi)

📌 1. आज्ञा चक्र और कुंडलिनी जागरण (Ajna Chakra & Kundalini Awakening)

दूरदर्शन सिद्धि का संबंध "आज्ञा चक्र" (Third Eye) से है।
✔ जब आज्ञा चक्र जाग्रत होता है, तब व्यक्ति सूक्ष्म और गहरी दृष्टि प्राप्त करता है, जिससे वह दूरस्थ घटनाओं का दर्शन कर सकता है।

कैसे करें?
आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें।
कुंडलिनी जागरण के लिए प्राणायाम, त्राटक और मंत्र जाप करें।
"ॐ ह्लीं ह्लीं स्वाहा" मंत्र का जाप करें।


📌 2. ध्यान साधना (Meditation Practice)

✔ गहरी ध्यान साधना से व्यक्ति अपनी मानसिक क्षमता को बढ़ाता है और दूरदर्शन शक्ति को जाग्रत करता है।
✔ साधक को अपनी चेतना को उच्चतम स्तर तक पहुँचाना होता है, ताकि वह भौतिक सीमाओं से परे जाकर दृश्य देख सके।

कैसे करें?
✔ शांति से बैठें और अपनी दृष्टि को हल्का और सूक्ष्म बनाए रखें।
✔ अपने मन को साफ करें और प्राकृतिक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करें।
✔ प्रतिदिन ध्यान की 30-45 मिनट की साधना करें।


📌 3. मंत्र साधना (Mantra Chanting for Dūr Darshan)

✔ विशिष्ट मंत्रों के जप से दूरदर्शन की क्षमता को जाग्रत किया जा सकता है।

मंत्र:
"ॐ नमः शिवाय", "ॐ ह्लीं ह्लीं स्वाहा"
✔ इस मंत्र का रोज़ 108 बार जाप करें
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 3-6 बजे) में साधना करें


📌 4. प्राणायाम और श्वास साधना (Pranayama & Breath Control)

प्राणायाम और श्वास साधना से मन की स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे दूरदर्शन की क्षमता जाग्रत हो सकती है।
भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम की मदद से व्यक्ति अपनी मानसिक ऊर्जा को बढ़ा सकता है।

कैसे करें?
प्राणायाम की विधियों का अभ्यास करें।
नाड़ी शोधन और भ्रामरी प्राणायाम को नियमित करें।


🔱 5️⃣ दूरदर्शन सिद्धि प्राप्त करने के लिए आवश्यक नियम (Rules for Attaining Dūr Darshan Siddhi)

गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।
ब्रह्मचर्य का पालन करें – बिना संयम के सिद्धियाँ प्राप्त नहीं हो सकतीं।
सात्त्विक आहार लें – शरीर को शुद्ध रखें।
सत्य, अहिंसा और आत्मसंयम का पालन करें।


🌟 निष्कर्ष – दूरदर्शन सिद्धि प्राप्त करने का गूढ़ रहस्य

दूरदर्शन सिद्धि साधक को किसी भी स्थान, समय या स्थिति का दर्शन करने की शक्ति देती है।
श्री कृष्ण, ऋषि व्यास और संत कबीर ने इस सिद्धि का उपयोग किया था।
आज्ञा चक्र जाग्रत करना, कुंडलिनी जागरण, मंत्र जाप और ध्यान साधना से इसे प्राप्त किया जा सकता है।
गुरु के बिना इस सिद्धि को प्राप्त करना अत्यंत कठिन है।

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