शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

निर्विकल्प समाधि को प्राप्त करने के गहरे रहस्य – आत्मबोध और मोक्ष का अंतिम मार्ग

 

🔱 निर्विकल्प समाधि को प्राप्त करने के गहरे रहस्य – आत्मबोध और मोक्ष का अंतिम मार्ग 🧘‍♂️✨

निर्विकल्प समाधि योग और वेदांत में आध्यात्मिक साधना की परम अवस्था मानी जाती है। यह वह स्थिति है जहाँ मन पूरी तरह विचारशून्य (Thoughtless), अहंकाररहित (Egoless) और शुद्ध चैतन्य (Pure Awareness) में स्थित हो जाता है।
🔹 इसे प्राप्त करना आसानी से संभव नहीं, लेकिन सही साधना और समर्पण से इसे पाया जा सकता है।
🔹 यह वह अवस्था है जहाँ साधक "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ) का प्रत्यक्ष अनुभव करता है।

अब हम निर्विकल्प समाधि प्राप्त करने के गहरे रहस्यों को जानेंगे और समझेंगे कि कैसे इस परम अवस्था को प्राप्त किया जाए।


🔱 1️⃣ निर्विकल्प समाधि को प्राप्त करने के गहरे रहस्य (Secrets of Attaining Nirvikalpa Samadhi)

📜 1. "साक्षी भाव" में स्थिर हो जाएँ (Attain the Observer State)

🔹 निर्विकल्प समाधि तभी संभव है जब व्यक्ति पूर्ण रूप से "साक्षी" बन जाता है।
🔹 "मैं कौन हूँ?" की जिज्ञासा में डूबकर जब साधक यह समझ जाता है कि वह शरीर, मन, बुद्धि और अहंकार नहीं है, तब वह निर्विकल्प अवस्था में प्रवेश करता है।

कैसे करें?
✔ जब कोई विचार आए, तो उसमें बहने की बजाय केवल उसे देखें।
सोचने वाला मत बनें, केवल देखने वाले (Observer) बनें।
✔ धीरे-धीरे मन की सभी चंचलताएँ समाप्त हो जाएँगी और समाधि घटित होगी।


📜 2. "नेति-नेति" साधना करें (Practice of Neti-Neti – "Not This, Not This")

🔹 नेति-नेति (यह नहीं, यह नहीं) का अभ्यास करते हुए साधक धीरे-धीरे स्वयं को "शरीर", "मन", "विचार", "इच्छाएँ", "इंद्रियाँ", और "अहंकार" से अलग करता जाता है।
🔹 अंत में, केवल शुद्ध आत्मा (Pure Consciousness) बचती है, और यही निर्विकल्प समाधि की अवस्था है।

कैसे करें?
✔ जब कोई विचार उठे, तो कहें – "यह नहीं, यह नहीं" (नेति-नेति)।
✔ जब तक सभी विचार विलीन न हो जाएँ, इस साधना को जारी रखें।
✔ जब केवल "शुद्ध मौन" बच जाए, तब निर्विकल्प समाधि घटित हो जाती है।


📜 3. श्वास (Breath) और मंत्र (Mantra) का प्रयोग करें

🔹 श्वास और मंत्र की सहायता से मन को शांत करना आसान हो जाता है।
🔹 जब साधक श्वास पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करता है, तो विचार स्वतः विलीन होने लगते हैं।
🔹 धीरे-धीरे, साधक श्वास से भी मुक्त हो जाता है और केवल शुद्ध अस्तित्व (Pure Beingness) में प्रवेश करता है।

कैसे करें?
✔ श्वास के साथ "सोऽहम्" (मैं वही हूँ) मंत्र का प्रयोग करें।
✔ जब श्वास अंदर जाए, तो महसूस करें – "सो"
✔ जब श्वास बाहर आए, तो महसूस करें – "हम्"
✔ कुछ समय बाद, मंत्र और श्वास भी विलीन हो जाएँगे, और केवल निर्विकल्प समाधि शेष रहेगी।


📜 4. ध्यान की गहरी अवस्था में जाएँ (Deep State of Meditation)

🔹 ध्यान की गहराई में उतरते ही मन के सभी विचार समाप्त हो जाते हैं और समाधि स्वाभाविक रूप से घटित होती है।
🔹 निर्विकल्प समाधि प्राप्त करने के लिए मन का पूर्ण रूप से विलीन (Dissolve) होना आवश्यक है।

कैसे करें?
सुबह 3-6 बजे (ब्रह्म मुहूर्त) में ध्यान करें।
✔ शरीर को पूरी तरह निश्चल (Still) रखें और मन को किसी भी विचार में उलझने न दें।
गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान को गहराई तक ले जाएँ।


📜 5. गुरु की कृपा और आत्मसमर्पण (Grace of Guru & Surrender)

🔹 गुरु के बिना निर्विकल्प समाधि प्राप्त करना अत्यंत कठिन होता है।
🔹 जब साधक अपना संपूर्ण अहंकार त्यागकर ईश्वर, गुरु, या ब्रह्म को समर्पित कर देता है, तब समाधि सहज रूप से घटित होती है।

कैसे करें?
गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करें और उनकी शिक्षाओं का पालन करें।
अहंकार को पूरी तरह त्यागकर ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण करें।
✔ अपने जीवन को पूर्ण रूप से सच्चाई, भक्ति और ध्यान में अर्पित करें।


🔱 2️⃣ निर्विकल्प समाधि के गहरे अनुभव (Profound Experiences of Nirvikalpa Samadhi)

📌 1. अद्वैत (Non-Duality) का प्रत्यक्ष अनुभव

🔹 साधक को महसूस होता है कि यह संसार, शरीर, और मन मात्र एक भ्रम (Illusion) है।
🔹 केवल ब्रह्म ही सत्य है – "सर्वं खल्विदं ब्रह्म" (सब कुछ ब्रह्म ही है)।


📌 2. असीम आनंद (Infinite Bliss) की अनुभूति

🔹 यह आनंद किसी बाहरी वस्तु से नहीं आता, बल्कि आत्मा के भीतर से प्रकट होता है।
🔹 इस आनंद की कोई तुलना नहीं होती, इसे "परमानंद" कहा जाता है।


📌 3. मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है (Freedom from the Fear of Death)

🔹 समाधि में साधक अनुभव करता है कि "मैं न कभी जन्मा, न कभी मरूँगा"
🔹 मृत्यु केवल शरीर की होती है, आत्मा अजर-अमर और नित्य शुद्ध बुद्ध है।


🔱 3️⃣ निर्विकल्प समाधि के बाद क्या होता है? (What Happens After Nirvikalpa Samadhi?)

1️⃣ कोई भी चीज़ बाधा नहीं बनती

✔ संसार में रहकर भी व्यक्ति पूर्ण रूप से मुक्त होता है।
✔ उसे कोई भी घटना, परिस्थिति, या व्यक्ति प्रभावित नहीं कर सकता।


2️⃣ "जीवन मुक्त" की अवस्था (State of Jivanmukti)

✔ जो व्यक्ति निर्विकल्प समाधि के बाद संसार में लौटता है, वह "जीवन मुक्त" कहलाता है।
✔ ऐसा व्यक्ति सब कुछ करता है, लेकिन फिर भी बंधा नहीं होता।

👉 श्री रामकृष्ण परमहंस ने कहा:
"बूंद यदि सागर में गिर जाए, तो वह सागर ही बन जाती है। यही निर्विकल्प समाधि है।"


🌟 निष्कर्ष – निर्विकल्प समाधि से मोक्ष प्राप्ति

निर्विकल्प समाधि ही अंतिम मुक्ति (मोक्ष) की अवस्था है।
यह तभी संभव है जब मन, विचार, और अहंकार पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएँ।
गहरी ध्यान साधना, नेति-नेति विधि, गुरु की कृपा और आत्मसमर्पण से इसे प्राप्त किया जा सकता है।

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