शनिवार, 22 जनवरी 2022

सविकल्प समाधि (Savikalpa Samadhi) – ध्यान और आत्मबोध की गहरी अवस्था

 

🔱 सविकल्प समाधि (Savikalpa Samadhi) – ध्यान और आत्मबोध की गहरी अवस्था 🧘‍♂️✨

सविकल्प समाधि ध्यान की एक उच्च अवस्था है, जहाँ साधक ईश्वर, आत्मा या ब्रह्म के स्वरूप का अनुभव करता है, लेकिन विचार और अहंकार (Ego) अभी भी उपस्थित रहते हैं।
🔹 इसमें ध्यानकर्ता अपने भीतर प्रकाश, शांति, आनंद और दिव्यता का अनुभव करता है।
🔹 यह समाधि की प्रारंभिक अवस्था है, लेकिन इसमें अभी भी "मैं" (Ego) का अस्तित्व रहता है।

👉 पतंजलि योगसूत्र (1.17) में कहा गया है:
"वितर्क-विचार-आनन्द-अस्मिता-रूपानुगमात् संप्रज्ञातः।"
(जब मन में विचार, आनंद, और अहंकार बना रहता है, तो वह समाधि सविकल्प कहलाती है।)


🔱 1️⃣ सविकल्प समाधि का अर्थ और लक्षण

📜 सविकल्प समाधि क्या है?

🔹 "सविकल्प" दो शब्दों से बना है –

  • "स" (साथ) = विद्यमान
  • "विकल्प" = विचार, संकल्प, कल्पना

🔹 इसका अर्थ हुआ – "जहाँ अभी भी विचार मौजूद हैं, लेकिन साधक ब्रह्म, आत्मा या ईश्वर का अनुभव करता है।"
🔹 ध्यान की इस अवस्था में व्यक्ति को दिव्य ज्ञान, शांति और आनंद का अनुभव होता है।
🔹 लेकिन यह अभी भी अंतिम मुक्ति नहीं है, क्योंकि मन और अहंकार अभी भी सक्रिय रहते हैं।


🔹 सविकल्प समाधि के लक्षण (Signs of Savikalpa Samadhi)

दिव्य प्रकाश (Divine Light) – ध्यान में कभी-कभी तेज़ प्रकाश का अनुभव होता है।
आनंद (Blissful Feeling) – अनंत शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
मन की स्पष्टता (Clarity of Mind) – साधक को जीवन, आत्मा और ब्रह्म का बोध होता है।
विचार धीमे पड़ जाते हैं – मन पूरी तरह शांत तो नहीं होता, लेकिन विचार धीमे हो जाते हैं।
साक्षी भाव (Witness State) – साधक स्वयं को केवल एक द्रष्टा (Observer) के रूप में अनुभव करता है।


🔱 2️⃣ सविकल्प समाधि की प्राप्ति के उपाय (How to Attain Savikalpa Samadhi)

📌 1️⃣ ध्यान (Meditation) का गहरा अभ्यास करें

✔ नियमित रूप से ध्यान करें और मन को एकाग्र करें।
✔ अपने श्वास (Breath), मंत्र (Mantra), या बिंदु (Point of Focus) पर ध्यान केंद्रित करें।
✔ धीरे-धीरे विचार कम होते जाएंगे, और आप सविकल्प समाधि में प्रवेश करने लगेंगे।

👉 उदाहरण:

  • ध्यान में बैठें, "ॐ" का मानसिक जाप करें और उसके कंपन (Vibration) को महसूस करें।
  • जब मन पूरी तरह शांत हो जाए, तो आत्मा के प्रकाश को अनुभव करें।

📌 2️⃣ मंत्र ध्यान (Mantra Meditation) का प्रयोग करें

"सोऽहम्" (मैं वही हूँ), "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ), "ॐ नमः शिवाय" जैसे मंत्रों का निरंतर जाप करें।
✔ जब आप इस मंत्र को लगातार जपते हैं, तो धीरे-धीरे अहंकार और मन के विकार दूर होते जाते हैं।
✔ इससे ध्यान गहरा होता है, और सविकल्प समाधि में प्रवेश आसान होता है।

👉 कैसे करें?

  • सुबह और रात को 20-30 मिनट मंत्र जाप करें।
  • मन में उठने वाले विचारों को पकड़ने की बजाय, सिर्फ मंत्र में तल्लीन हो जाएँ।

📌 3️⃣ नेति-नेति ध्यान विधि (Neti-Neti Meditation – "यह नहीं, यह नहीं")

✔ जब भी कोई विचार उठे, स्वयं से कहें – "यह मैं नहीं हूँ"
✔ धीरे-धीरे आप देखेंगे कि सभी विचार विलीन हो रहे हैं और केवल शुद्ध चेतना बच रही है।
✔ जब कोई विचार नहीं रहेगा, तब सविकल्प समाधि का अनुभव शुरू होगा।

👉 कैसे करें?

  • ध्यान में बैठें और विचारों को आने दें।
  • जब कोई विचार उठे, तो कहें – "यह मेरा शरीर नहीं", "यह मेरा मन नहीं", "यह मेरा विचार नहीं"
  • धीरे-धीरे आप शुद्ध चैतन्य (Pure Consciousness) में प्रवेश करेंगे।

📌 4️⃣ गुरु और सत्संग का सहारा लें (Guidance of Guru & Satsang)

✔ सच्चे गुरु और संतों का संग करना बहुत आवश्यक है।
✔ उनके मार्गदर्शन से ध्यान की गहराई को समझा जा सकता है।
"सत्संग" (संतों के साथ रहना) से मन शीघ्र शांत होता है और ध्यान में प्रगति होती है।

👉 उदाहरण:

  • रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि, योगानंद जी जैसे संतों की शिक्षाओं का पालन करें।
  • ध्यान और समाधि के गूढ़ रहस्यों को समझने के लिए भगवद गीता और उपनिषदों का अध्ययन करें।

🔱 3️⃣ सविकल्प समाधि और निर्विकल्प समाधि में अंतर

विशेषतासविकल्प समाधिनिर्विकल्प समाधि
विचारों की उपस्थितिविचार कम होते हैं, लेकिन समाप्त नहीं होते।कोई विचार नहीं बचता, केवल शुद्ध आत्मा का अनुभव होता है।
अहंकार (Ego)कुछ मात्रा में अहंकार बना रहता है।अहंकार पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है।
आनंद (Bliss)साधक को आनंद और दिव्यता का अनुभव होता है।यह आनंद अनंत हो जाता है और साधक ब्रह्म में लीन हो जाता है।
समाप्ति बिंदुयह ध्यान की उच्च अवस्था है, लेकिन मोक्ष नहीं।निर्विकल्प समाधि ही मोक्ष की अंतिम अवस्था है।

🔱 4️⃣ सविकल्प समाधि का अंतिम लक्ष्य क्या है?

🔹 सविकल्प समाधि आत्मज्ञान (Self-Realization) की ओर पहला कदम है।
🔹 यह हमें निर्विकल्प समाधि (पूर्ण आत्मसाक्षात्कार) की ओर ले जाती है।
🔹 जब साधक इस समाधि में निरंतर बना रहता है, तो अहंकार समाप्त हो जाता है और वह मोक्ष के निकट पहुँच जाता है।

📌 अंतिम उपाय – "अहं ब्रह्मास्मि" का अनुभव करें

✔ जब साधक सविकल्प समाधि में गहराई से जाता है, तो उसे अहसास होता है –
"मैं शरीर नहीं हूँ, मैं मन नहीं हूँ, मैं आत्मा भी नहीं हूँ, मैं ही ब्रह्म हूँ।"
✔ यही "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ) का साक्षात्कार है।
✔ जब यह बोध पूर्ण रूप से स्थिर हो जाता है, तो साधक निर्विकल्प समाधि में प्रवेश कर लेता है और मोक्ष प्राप्त करता है।


🌟 निष्कर्ष – सविकल्प समाधि से निर्विकल्प समाधि की ओर यात्रा

सविकल्प समाधि में विचार रहते हैं, लेकिन आत्मा और ब्रह्म का अनुभव होता है।
यह समाधि का पहला चरण है, जो निर्विकल्प समाधि (पूर्ण मोक्ष) की ओर ले जाता है।
गुरु, ध्यान, मंत्र जाप, और नेति-नेति साधना से सविकल्प समाधि में गहरी अनुभूति होती है।

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