कंस वध श्रीकृष्ण की जीवन गाथा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धर्म विजय का प्रतीक प्रसंग है। यह घटना अधर्म और अत्याचार के अंत तथा धर्म और न्याय की स्थापना का संदेश देती है।
कंस का आतंक
कंस मथुरा का क्रूर राजा था। उसने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर मथुरा का शासन छीन लिया था। कंस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को जेल में बंद कर दिया, क्योंकि आकाशवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। कंस ने देवकी के छह पुत्रों को मार डाला, लेकिन सातवां पुत्र (बलराम) और आठवां पुत्र (कृष्ण) चमत्कारिक ढंग से बच गए।
श्रीकृष्ण का गोकुल और वृंदावन में पालन-पोषण
कृष्ण को वसुदेव ने गोकुल में नंद बाबा और यशोदा माता के पास छोड़ दिया था। गोकुल और वृंदावन में अपनी बाललीलाओं के दौरान कृष्ण ने कई राक्षसों का वध किया, जिन्हें कंस ने भेजा था। इनमें पूतना, तृणावर्त, बकासुर और कालिया नाग जैसे राक्षस शामिल थे।
कंस द्वारा अक्रूर का भेजना
जब कंस को यह पता चला कि गोकुल में नंद बाबा के यहां रहने वाला बालक ही देवकी का आठवां पुत्र है, तो उसने कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाने की योजना बनाई। उसने अपने मंत्री अक्रूर को भेजा और कृष्ण-बलराम को मथुरा आने का निमंत्रण दिया।
अक्रूर ने कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाने का अनुरोध किया। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने इसे स्वीकार किया और मथुरा जाने के लिए तैयार हुए।
मथुरा में प्रवेश
जब कृष्ण और बलराम मथुरा पहुंचे, तो उन्होंने वहां कंस के अत्याचारों को देखा। उन्होंने मल्लयुद्ध (कुश्ती) का आयोजन किया था, जिसमें चाणूर और मुष्टिक जैसे बलवान पहलवानों को भेजा गया।
कुश्ती का आयोजन: कंस ने योजना बनाई कि चाणूर और मुष्टिक, जो उसके मुख्य पहलवान थे, कृष्ण और बलराम को कुश्ती में मार डालेंगे। लेकिन कृष्ण ने चाणूर का वध किया और बलराम ने मुष्टिक का वध कर दिया।
हाथी कुबलयापीड़ का वध: कुश्ती से पहले कंस ने कृष्ण को रोकने के लिए विशाल हाथी कुबलयापीड़ को भेजा, लेकिन कृष्ण ने उसे भी मार गिराया।
कंस का वध
कुश्ती के बाद कृष्ण ने कंस को खुला चुनौती दी। कंस ने अपने सैनिकों को बुलाया, लेकिन कृष्ण ने उन्हें हराकर सीधे कंस के सिंहासन पर चढ़ाई की।
- कृष्ण ने कंस को उसके बाल पकड़कर नीचे गिरा दिया और अपने गदा से उसका वध कर दिया।
- बलराम ने कंस के आठ भाइयों का वध किया, जो उसकी सहायता के लिए आए थे।
कंस वध के बाद
- माता-पिता की मुक्ति: कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण और बलराम ने अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव को कारागार से मुक्त किया।
- उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाना: कृष्ण ने अपने नाना उग्रसेन को मथुरा का राजा बनाया और मथुरा के शासन को पुनः धर्म के पथ पर स्थापित किया।
- जरा और अधर्म का अंत: कंस वध ने यह प्रमाणित किया कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है।
महत्व
कंस वध केवल एक राक्षस या अत्याचारी का अंत नहीं था, बल्कि यह धर्म की स्थापना और सत्य की विजय का प्रतीक है। यह घटना यह सिखाती है कि भगवान अपने भक्तों और धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं और अधर्म को नष्ट करते हैं।