शनिवार, 11 अप्रैल 2020

3. सच्चा मित्र कौन?

 

सच्चा मित्र कौन?

किसी समय, एक छोटे से राज्य में दो मित्र रहते थे। वे बचपन से साथ बड़े हुए थे और एक-दूसरे पर बहुत विश्वास करते थे। उनकी मित्रता पूरे गांव में प्रसिद्ध थी। लेकिन एक दिन एक घटना घटी जिसने उनकी मित्रता को परखने का अवसर दिया।


घटना का आरंभ

एक बार, दोनों मित्र व्यापार के लिए जंगल के रास्ते एक अन्य गांव जा रहे थे। जंगल में अचानक एक हिंसक शेर ने उन पर हमला कर दिया। दोनों भयभीत हो गए।

  • पहला मित्र: खतरा देखकर तुरंत निकट के एक पेड़ पर चढ़ गया और अपनी जान बचाने की कोशिश करने लगा।
  • दूसरा मित्र: पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था, लेकिन उसने सुना था कि शेर मरे हुए व्यक्ति पर हमला नहीं करते। उसने तुरंत जमीन पर लेटकर सांस रोक ली, मानो वह मृत हो।

शेर उसके पास आया, सूंघा, और यह सोचकर कि वह मर चुका है, वहां से चला गया।


घटना के बाद

जब शेर चला गया, तो पहला मित्र पेड़ से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्र से मजाक में पूछा,
"भाई, मैंने देखा कि शेर तुम्हारे कान के पास कुछ फुसफुसा रहा था। वह क्या कह रहा था?"

दूसरे मित्र ने उत्तर दिया:
"शेर ने मुझे कहा कि सच्चे मित्र वही होते हैं जो संकट के समय साथ दें। जो मित्र खतरा देखकर भाग जाए, उसे मित्र नहीं समझना चाहिए।"

यह सुनकर पहला मित्र शर्मिंदा हुआ और उसने अपनी गलती स्वीकार की।


बेताल का प्रश्न

बेताल ने राजा विक्रम से पूछा:
"इन दोनों में सच्चा मित्र कौन था? और क्या दूसरे मित्र को पहले मित्र को क्षमा कर देना चाहिए?"


राजा विक्रम का उत्तर

राजा विक्रम ने कहा:
"सच्चा मित्र वही है जो संकट के समय साथ न छोड़े। दूसरे मित्र ने परिस्थिति का सामना किया और अपनी बुद्धिमानी से अपनी जान बचाई। पहले मित्र ने केवल अपनी जान की चिंता की, इसलिए उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता।
जहां तक क्षमा की बात है, यदि पहला मित्र अपनी गलती को स्वीकार करे और सच्चे हृदय से क्षमा मांगे, तो दूसरे मित्र को उसे क्षमा कर देना चाहिए। क्योंकि मित्रता का आधार केवल विश्वास और समझदारी है।"


कहानी की शिक्षा

  1. सच्चा मित्र संकट में पहचाना जाता है।
  2. स्वार्थपूर्ण व्यवहार मित्रता को कमजोर करता है।
  3. गलती स्वीकार करना और क्षमा करना सच्चे संबंधों को बचा सकता है।

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