शनिवार, 3 अगस्त 2019

ध्रुव की कथा – अटूट संकल्प और भक्ति की अमर गाथा

 

🙏 ध्रुव की कथा – अटूट संकल्प और भक्ति की अमर गाथा 🌟

ध्रुव की कहानी हमें संकल्प, भक्ति और भगवान की कृपा की सीख देती है। यह कथा बताती है कि यदि किसी के मन में सच्ची श्रद्धा और अडिग निश्चय हो, तो वह असंभव को भी संभव कर सकता है।


👑 राजा उत्तानपाद और ध्रुव

प्राचीन काल में राजा उत्तानपाद के दो पत्नियाँ थीं – सुरुचि और सुनिति
📌 सुरुचि को राजा अधिक प्रेम करते थे, और उनका पुत्र ‘उत्तम’ राजा का प्रिय था।
📌 सुनिति, जो राजा की बड़ी रानी थीं, उनका पुत्र ‘ध्रुव’ था, लेकिन राजा उनसे अधिक प्रेम नहीं करते थे।
📌 सुरुचि अहंकारी और ईर्ष्यालु थी, और वह चाहती थी कि केवल उसका पुत्र ही राजा बने।


😢 ध्रुव का अपमान और संकल्प

एक दिन, राजा उत्तानपाद अपने छोटे पुत्र उत्तम को गोद में बैठाए हुए थे।
📌 ध्रुव भी अपने पिता की गोद में बैठने के लिए दौड़ा, लेकिन उसकी सौतेली माँ सुरुचि ने उसे रोक दिया।
📌 सुरुचि ने अपमानजनक शब्दों में कहा – "यदि तुम राजा की गोद में बैठना चाहते हो, तो पहले भगवान की भक्ति करके अगले जन्म में मेरे गर्भ से जन्म लो!"
📌 राजा ने भी चुपचाप यह सब देखा और ध्रुव का समर्थन नहीं किया।

📌 अपनी माँ सुनिति के पास आकर ध्रुव रोने लगा और पूछा – "माँ, क्या मैं राजा का पुत्र नहीं हूँ?"
📌 माँ ने कहा – "बेटा, सच्ची प्रतिष्ठा और सम्मान केवल भगवान की कृपा से मिलता है।"
📌 ध्रुव ने संकल्प लिया – "अब मैं भगवान से ही अपना राज्य और स्थान माँगूँगा!"


🧘 ध्रुव की कठोर तपस्या

📜 ध्रुव ने अपनी माता से आशीर्वाद लिया और भगवान की खोज में वन की ओर निकल पड़ा।
📌 रास्ते में उन्हें देवर्षि नारद मिले, जिन्होंने उन्हें तपस्या का मार्ग बताया।
📌 उन्होंने कहा – "बेटा, भगवान को पाने के लिए मन को स्थिर करना होगा और कठिन तपस्या करनी होगी।"
📌 नारद ने उन्हें ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र दिया।

📌 ध्रुव ने कठोर तपस्या शुरू की –
पहले महीने में केवल फल खाए।
दूसरे महीने में केवल पत्ते खाए।
तीसरे महीने में केवल जल पीकर रहे।
चौथे महीने में उन्होंने केवल वायु पर जीवित रहकर तपस्या की।

📌 ध्रुव की भक्ति इतनी प्रबल हो गई कि देवता और ऋषि भी आश्चर्यचकित रह गए।
📌 उनकी तपस्या से संपूर्ण ब्रह्मांड काँपने लगा।
📌 अंततः भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने ध्रुव के सामने प्रकट होकर कहा – "वर माँगों, वत्स!"


🌟 ध्रुव को अमर स्थान प्राप्त हुआ

📌 ध्रुव ने भगवान से कहा – "हे प्रभु, मैं ऐसा स्थान चाहता हूँ जो अटल और अमर हो!"
📌 भगवान विष्णु ने कहा – "वत्स, मैं तुम्हें वह स्थान दूँगा जो अचल रहेगा और सभी ग्रहों एवं नक्षत्रों से श्रेष्ठ होगा!"
📌 ध्रुव को अमर ‘ध्रुव तारा’ (North Star) का स्थान मिला, जो सदा स्थिर रहेगा।
📌 भगवान ने कहा – "तुम्हारा नाम अनंत काल तक अमर रहेगा!"


📌 कहानी से मिली सीख

सच्चा संकल्प और दृढ़ निश्चय किसी भी कठिनाई को हरा सकता है।
भगवान की भक्ति से हर इच्छा पूरी हो सकती है।
अपमान का उत्तर अहंकार से नहीं, बल्कि आत्म-सुधार से देना चाहिए।
जो कठिन परिश्रम और भक्ति करता है, उसका स्थान दुनिया में अटल होता है।

🙏 "ध्रुव की कथा हमें सिखाती है कि यदि हमारा संकल्प मजबूत हो, तो हमें स्वयं भगवान का आशीर्वाद मिल सकता है!" 🙏


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