शनिवार, 12 जनवरी 2019

प्रश्न उपनिषद (Prashna Upanishad) – ब्रह्मांड और प्राण शक्ति

प्रश्न उपनिषद (Prashna Upanishad) – ब्रह्मांड और प्राण शक्ति

प्रश्न उपनिषद (Prashna Upanishad) वेदांत दर्शन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें ब्रह्मांड, प्राण (Vital Energy), आत्मा, ध्यान, और सृष्टि के रहस्यों पर गहन चर्चा की गई है। यह अथर्ववेद से संबंधित उपनिषद है और इसका नाम "प्रश्न" इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें छह ऋषियों द्वारा ब्रह्मविद्या से जुड़े छह गहन प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर महर्षि पिप्पलाद देते हैं।

👉 प्रश्न उपनिषद हमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, प्राण की शक्ति, इंद्रियों का महत्व, ध्यान की विधि और आत्मा के स्वरूप को समझने में मदद करता है।


🔹 प्रश्न उपनिषद का संक्षिप्त परिचय

वर्गविवरण
संख्या108 उपनिषदों में से एक (अथर्ववेद से संबंधित)
ग्रंथ स्रोतअथर्ववेद
मुख्य विषयब्रह्मांड, प्राण, आत्मा, ध्यान, पुनर्जन्म
अध्याय संख्या6 प्रश्न (6 खंड)
मुख्य शिक्षकमहर्षि पिप्पलाद
प्रमुख दर्शनवेदांत, योग, प्राण विद्या
महत्वब्रह्मांड और जीवन की उत्पत्ति, ध्यान और आत्मा का रहस्य

👉 यह उपनिषद विशेष रूप से प्राण शक्ति (Vital Energy) और ब्रह्मांडीय सत्य को समझाने के लिए प्रसिद्ध है।


🔹 छह महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

1️⃣ पहला प्रश्न – ब्रह्मांड और सृष्टि की उत्पत्ति

👉 ऋषि कबंधी ने पूछा:

"भगवान! सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 1.1-1.4):

  • परम ब्रह्म (परमात्मा) ने सृष्टि की इच्छा की और "रयि" (भौतिक शक्ति) और "प्राण" (जीवन शक्ति) को उत्पन्न किया।
  • सूर्य प्राण का प्रतीक है और चंद्रमा रयि (भौतिक तत्व) का प्रतीक है।
  • पूरी सृष्टि इन्हीं दो तत्वों से बनी है।

👉 इससे यह सिद्ध होता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति ऊर्जा (प्राण) और पदार्थ (रयि) के मेल से हुई।


2️⃣ दूसरा प्रश्न – प्राण क्या है और यह शरीर को कैसे चलाता है?

👉 ऋषि भारद्वाज ने पूछा:

"हे गुरुदेव! यह प्राण कहाँ से उत्पन्न होता है और यह शरीर को कैसे चलाता है?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 2.1-2.13):

  • प्राण परमात्मा से उत्पन्न होता है और पूरे शरीर को संचालित करता है।
  • शरीर में प्राण पाँच भागों में विभाजित होता है:
    1. प्राण – श्वसन क्रिया (सांस लेना)
    2. अपान – मल-मूत्र विसर्जन
    3. व्यान – रक्त संचार
    4. उदान – गले और मस्तिष्क की क्रियाएँ
    5. समान – भोजन को पचाना

👉 यह सिद्ध करता है कि प्राण ही शरीर का मुख्य आधार है और इसके बिना जीवन असंभव है।


3️⃣ तीसरा प्रश्न – इंद्रियों की शक्ति और मन का स्थान

👉 ऋषि कौशल्य ने पूछा:

"मन और इंद्रियों को शक्ति कौन देता है?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 3.1-3.12):

  • सूर्य हमारी आँखों को देखने की शक्ति देता है।
  • वायु हमारी नाक को गंध सूंघने की शक्ति देता है।
  • पृथ्वी हमारी जीभ को स्वाद की शक्ति देती है।
  • जल हमारी त्वचा को स्पर्श का अनुभव देता है।
  • अंतरिक्ष हमारे कानों को सुनने की शक्ति देता है।
  • मन की शक्ति आत्मा से आती है।

👉 इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारी इंद्रियाँ और मन ब्रह्मांडीय शक्तियों से जुड़े हैं।


4️⃣ चौथा प्रश्न – जीवन के बाद आत्मा कहाँ जाती है?

👉 ऋषि गर्ग्य ने पूछा:

"हे गुरुदेव! मृत्यु के बाद आत्मा कहाँ जाती है?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 4.1-4.9):

  • मृत्यु के बाद आत्मा कर्म के अनुसार विभिन्न लोकों में जाती है
  • जो ज्ञानी होते हैं, वे सूर्य मार्ग (देवयान मार्ग) से मोक्ष प्राप्त करते हैं।
  • जो सांसारिक कर्मों में फँसे होते हैं, वे चंद्र मार्ग (पितृयान मार्ग) से पुनर्जन्म लेते हैं।

👉 यह वेदांत का मूल सिद्धांत है – कर्म के अनुसार आत्मा की गति होती है।


5️⃣ पाँचवाँ प्रश्न – ओंकार (ॐ) का रहस्य

👉 ऋषि सत्यकाम ने पूछा:

"ॐ (ओंकार) का क्या महत्व है?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 5.1-5.7):

  • ओंकार ही परमात्मा का प्रतीक है।
  • ओंकार के तीन अक्षर (अ-उ-म) तीन अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं:
    1. अ (A) – जाग्रत अवस्था (वर्तमान जीवन)
    2. उ (U) – स्वप्न अवस्था
    3. म (M) – गहरी नींद (निर्वाण)

👉 जो व्यक्ति ओंकार का ध्यान करता है, वह आत्मा के रहस्य को समझ लेता है।


6️⃣ छठा प्रश्न – ध्यान और ब्रह्मज्ञान का महत्व

👉 ऋषि सुकेश ने पूछा:

"ब्रह्मज्ञान (परमात्मा की प्राप्ति) कैसे संभव है?"

📖 उत्तर (प्रश्न उपनिषद 6.1-6.8):

  • ध्यान (Meditation) और आत्मचिंतन (Self-Realization) से ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त होता है।
  • आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
  • जो व्यक्ति ध्यान द्वारा आत्मा को जान लेता है, वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।

📖 मंत्र (प्रश्न उपनिषद 6.5):

"सत्यं एव जयते नानृतम्।"
📖 अर्थ: केवल सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं।

👉 यही श्लोक भारत के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य "सत्यमेव जयते" में लिया गया है।


🔹 प्रश्न उपनिषद का दार्शनिक महत्व

1️⃣ ब्रह्मांड और प्राण का विज्ञान

  • यह उपनिषद बताता है कि संपूर्ण सृष्टि ऊर्जा (प्राण) और पदार्थ (रयि) से बनी है।

2️⃣ आत्मा और कर्म सिद्धांत

  • मृत्यु के बाद आत्मा कर्म के अनुसार गति करती है
  • मोक्ष केवल ज्ञान और ध्यान से संभव है।

3️⃣ ध्यान और ओंकार का महत्व

  • ओंकार का जाप और ध्यान आत्मज्ञान का सबसे श्रेष्ठ मार्ग है।

👉 यह उपनिषद जीवन के रहस्यों को जानने और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।


🔹 निष्कर्ष

1️⃣ प्रश्न उपनिषद ब्रह्मांड, प्राण, आत्मा और मोक्ष के रहस्यों को उजागर करता है।
2️⃣ इसमें छह गूढ़ प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं, जो वेदांत और योग दर्शन का आधार हैं।
3️⃣ जो व्यक्ति ओंकार और ध्यान का अभ्यास करता है, वह आत्मज्ञान प्राप्त करता है।
4️⃣ आत्मा अमर है और केवल कर्म के अनुसार शरीर बदलती है।

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