मांडूक्य उपनिषद (Mandukya Upanishad) – "ॐ" (ओंकार) का रहस्य
मांडूक्य उपनिषद (Mandukya Upanishad) उपनिषदों में सबसे छोटा होने के बावजूद सबसे गूढ़ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अथर्ववेद से संबंधित है और इसमें केवल 12 मंत्र हैं, लेकिन इन मंत्रों में ॐ (ओंकार) का रहस्य, आत्मा (आत्मन्) और ब्रह्म (परम सत्य) के ज्ञान को संक्षिप्त लेकिन अद्भुत रूप से बताया गया है।
👉 मांडूक्य उपनिषद अद्वैत वेदांत का मूल ग्रंथ है और यह स्पष्ट रूप से बताता है कि "ॐ" (ओंकार) ही ब्रह्म (परमात्मा) है।
🔹 मांडूक्य उपनिषद का संक्षिप्त परिचय
वर्ग | विवरण |
---|---|
संख्या | 108 उपनिषदों में से एक (अथर्ववेद से संबंधित) |
ग्रंथ स्रोत | अथर्ववेद |
मुख्य विषय | ओंकार (ॐ), आत्मा और ब्रह्म का अद्वैत ज्ञान |
श्लोक संख्या | 12 मंत्र |
प्रमुख दर्शन | अद्वैत वेदांत, योग, ब्रह्मविद्या |
महत्व | ओंकार की व्याख्या, जाग्रत-स्वप्न-गहरी नींद और तुरिया अवस्था का वर्णन |
👉 मांडूक्य उपनिषद को "शुद्ध अद्वैत वेदांत" का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना जाता है, और अद्वैत दर्शन के महान आचार्य आदि शंकराचार्य ने इसे सर्वोच्च उपनिषद कहा है।
🔹 मांडूक्य उपनिषद के प्रमुख विषय
1️⃣ "ॐ" (ओंकार) ही ब्रह्म है
2️⃣ आत्मा की चार अवस्थाएँ – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय (चतुर्थ अवस्था)
3️⃣ ब्रह्म और आत्मा एक ही हैं (अद्वैत सिद्धांत)
4️⃣ संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अस्तित्व ओंकार से है
5️⃣ मोक्ष प्राप्ति का रहस्य – तुरीय अवस्था में प्रवेश
👉 यह उपनिषद हमें सिखाता है कि ओंकार (ॐ) के माध्यम से ध्यान करके आत्मा के उच्चतम सत्य को जाना जा सकता है।
🔹 "ॐ" (ओंकार) का रहस्य – ब्रह्मांडीय ध्वनि
📖 मंत्र (मांडूक्य उपनिषद 1.1):
"ॐ इत्येतदक्षरं इदं सर्वं तस्योपव्याख्यानं।"
📖 अर्थ:
- "ॐ" ही संपूर्ण ब्रह्मांड का सार है।
- इसे जानने से संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
👉 यह मंत्र बताता है कि ओंकार ही ब्रह्म है और संपूर्ण सृष्टि इससे उत्पन्न होती है।
🔹 आत्मा की चार अवस्थाएँ (चार पाद/चरण)
मांडूक्य उपनिषद बताता है कि आत्मा (आत्मन्) की चार अवस्थाएँ होती हैं:
अवस्था | नाम | वर्णन |
---|---|---|
1️⃣ जाग्रत (Wakefulness) | वैश्वरान (Vishva) | जाग्रत अवस्था, जहाँ हम बाहरी दुनिया को अनुभव करते हैं। |
2️⃣ स्वप्न (Dream State) | तैजस (Taijasa) | स्वप्न अवस्था, जहाँ हम मन में कल्पना और विचारों को अनुभव करते हैं। |
3️⃣ सुषुप्ति (Deep Sleep) | प्राज्ञ (Prajna) | गहरी नींद की अवस्था, जहाँ कोई द्वैत (Duality) नहीं रहता। |
4️⃣ तुरीय (The Ultimate State) | तुरीय (Turiya) | सर्वोच्च अवस्था, जिसमें केवल अद्वैत (Non-Duality) और ब्रह्म का ज्ञान रहता है। |
👉 "ॐ" के तीन अक्षर (अ-उ-म) इन तीन अवस्थाओं का प्रतीक हैं, और चौथी अवस्था तुरीय है, जो केवल अनुभव की जा सकती है।
🔹 जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति से परे तुरीय अवस्था
📖 मंत्र (मांडूक्य उपनिषद 1.7)
"नान्तः प्रज्ञं न बहिष्प्रज्ञं न उभयतः प्रज्ञं।"
📖 अर्थ:
- तुरीय न जाग्रत अवस्था है, न स्वप्न, न सुषुप्ति।
- यह इंद्रियों से परे, शुद्ध चेतना की अवस्था है।
- यही आत्मा का वास्तविक स्वरूप और मोक्ष का द्वार है।
👉 तुरीय अवस्था में प्रवेश करने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
🔹 "ॐ" और उसकी तीन ध्वनियाँ (अ-उ-म) का महत्व
📖 मंत्र (मांडूक्य उपनिषद 1.8-1.12)
"अकार उकार मकार इति।"
📖 अर्थ:
- "अ" (A) = जाग्रत अवस्था
- "उ" (U) = स्वप्न अवस्था
- "म" (M) = सुषुप्ति अवस्था
- "ॐ" के परे की शांति = तुरीय अवस्था
👉 जो व्यक्ति "ॐ" के सही अर्थ को समझकर ध्यान करता है, वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
🔹 मांडूक्य उपनिषद का दार्शनिक महत्व
1️⃣ अद्वैत वेदांत का मूल ग्रंथ
- आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं (अहं ब्रह्मास्मि – "मैं ब्रह्म हूँ")।
- जो आत्मा को पहचानता है, वह परमात्मा को पहचान लेता है।
2️⃣ "ॐ" (ओंकार) का विज्ञान
- संपूर्ण ब्रह्मांड की ध्वनि "ॐ" में समाई हुई है।
- ध्यान और साधना द्वारा "ॐ" का जाप करने से आत्मा का साक्षात्कार संभव है।
3️⃣ तुरीय अवस्था – मोक्ष का मार्ग
- जाग्रत, स्वप्न और गहरी नींद से परे की अवस्था "तुरीय" है।
- इस अवस्था में प्रवेश करने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
👉 मांडूक्य उपनिषद केवल 12 मंत्रों में आत्मा और ब्रह्म का अद्वैत ज्ञान देता है।
🔹 निष्कर्ष
1️⃣ मांडूक्य उपनिषद अद्वैत वेदांत का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
2️⃣ "ॐ" (ओंकार) ब्रह्म का प्रतीक है और इसे जानने से संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
3️⃣ आत्मा की चार अवस्थाएँ – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय – का विस्तार से वर्णन किया गया है।
4️⃣ तुरीय अवस्था में प्रवेश करने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
5️⃣ जो व्यक्ति ध्यान द्वारा "ॐ" का सच्चा अर्थ समझ लेता है, वह ब्रह्म का साक्षात्कार करता है।
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