🔱 कुंडलिनी के सप्त चक्रों की विस्तृत साधना विधि 🧘♂️✨
कुंडलिनी शक्ति हमारे शरीर में स्थित सात प्रमुख चक्रों (7 Chakras) के माध्यम से प्रवाहित होती है।
🔹 ये चक्र ऊर्जा केंद्र हैं, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करते हैं।
🔹 जब कुंडलिनी मूलाधार चक्र से उठकर सहस्रार चक्र तक पहुँचती है, तो साधक परम चेतना, आत्मज्ञान और सिद्धियों की प्राप्ति करता है।
अब हम सप्त चक्रों की विशेषताएँ, उनकी साधना विधियाँ और जागरण तकनीकें विस्तार से जानेंगे।
🔱 1️⃣ मूलाधार चक्र (Muladhara Chakra) – जड़ और स्थिरता
स्थान: रीढ़ की हड्डी के आधार (Tailbone) पर
तत्व: पृथ्वी 🌍
रंग: लाल 🔴
बीज मंत्र: "लं"
गुण: स्थिरता, आत्मविश्वास, भौतिक सुख-संपत्ति
📌 मूलाधार चक्र जागरण विधि:
✅ मूलबंध (Mula Bandha):
- सिद्धासन में बैठकर गुदा और नाभि क्षेत्र को संकुचित करें।
✅ प्राणायाम: - भस्त्रिका प्राणायाम करें (गहरी श्वास लें और तेजी से छोड़ें)।
✅ ध्यान: - लाल रंग के प्रकाश की कल्पना करें, जो आपकी रीढ़ के निचले भाग में चमक रहा है।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ लं नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ शरीर मजबूत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, और जड़ता दूर होती है।
✔ भय, असुरक्षा और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
🔱 2️⃣ स्वाधिष्ठान चक्र (Swadhisthana Chakra) – रचनात्मकता और इच्छाशक्ति
स्थान: नाभि के नीचे, जननेंद्रिय क्षेत्र
तत्व: जल 💧
रंग: नारंगी 🟠
बीज मंत्र: "वं"
गुण: रचनात्मकता, इच्छाशक्ति, भावनाएँ, यौन ऊर्जा
📌 स्वाधिष्ठान चक्र जागरण विधि:
✅ अश्विनी मुद्रा (Ashwini Mudra):
- गुदा को बार-बार संकुचित और शिथिल करें।
✅ प्राणायाम: - अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।
✅ ध्यान: - अपनी नाभि के पास नारंगी प्रकाश को चमकते हुए देखें।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ वं नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ यौन ऊर्जा संतुलित होती है, रचनात्मकता और आत्म-संतोष बढ़ता है।
✔ भय, जलन, और गिल्ट जैसी नकारात्मक भावनाएँ समाप्त होती हैं।
🔱 3️⃣ मणिपुर चक्र (Manipura Chakra) – शक्ति और आत्मविश्वास
स्थान: नाभि क्षेत्र
तत्व: अग्नि 🔥
रंग: पीला 🟡
बीज मंत्र: "रं"
गुण: आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति, नेतृत्व क्षमता
📌 मणिपुर चक्र जागरण विधि:
✅ नाभि शोधन क्रिया:
- नाभि को अंदर खींचकर 10 सेकंड रोकें, फिर छोड़ें।
✅ प्राणायाम: - कपालभाति प्राणायाम (तेजी से साँस छोड़ें)।
✅ ध्यान: - पीले रंग की ऊर्जा को नाभि में जलते हुए अनुभव करें।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ रं नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ आत्मबल, निर्णय क्षमता और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है।
✔ गुस्सा, डर और कमजोरी समाप्त होती है।
🔱 4️⃣ अनाहत चक्र (Anahata Chakra) – प्रेम और करुणा
स्थान: हृदय क्षेत्र
तत्व: वायु 🌬️
रंग: हरा 🟢
बीज मंत्र: "यं"
गुण: प्रेम, करुणा, आत्मिक संतुलन
📌 अनाहत चक्र जागरण विधि:
✅ हृदय खोलने वाले आसन:
- उष्ट्रासन (Camel Pose), मत्स्यासन (Fish Pose)।
✅ प्राणायाम: - अनुलोम-विलोम प्राणायाम।
✅ ध्यान: - हरे प्रकाश को हृदय क्षेत्र में अनुभव करें।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ यं नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ प्रेम, करुणा, और आत्मस्वीकृति बढ़ती है।
✔ ईर्ष्या, अहंकार, और नकारात्मक भावनाएँ समाप्त होती हैं।
🔱 5️⃣ विशुद्धि चक्र (Vishuddha Chakra) – संचार और सत्य
स्थान: कंठ क्षेत्र
तत्व: आकाश ☁️
रंग: नीला 🔵
बीज मंत्र: "हं"
गुण: संचार, अभिव्यक्ति, सत्य
📌 विशुद्धि चक्र जागरण विधि:
✅ सिंह मुद्रा (Simha Mudra):
- मुँह खोलकर जीभ बाहर निकालें, गहरी सांस छोड़ें।
✅ प्राणायाम: - भ्रामरी प्राणायाम करें।
✅ ध्यान: - नीले प्रकाश की कल्पना करें, जो कंठ में चमक रहा है।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ हं नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ आत्म-अभिव्यक्ति, सत्य, और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
✔ झूठ, भय, और संकोच समाप्त होते हैं।
🔱 6️⃣ आज्ञा चक्र (Ajna Chakra) – तीसरी आँख और दिव्य दृष्टि
स्थान: दोनों भौहों के बीच (Third Eye)
तत्व: प्रकाश 💡
रंग: गहरा नीला या इंडिगो 🔷
बीज मंत्र: "ॐ"
गुण: अंतर्ज्ञान, दिव्य ज्ञान, भविष्यदर्शन
📌 आज्ञा चक्र जागरण विधि:
✅ त्राटक ध्यान (Trataka Meditation):
- एक दीपक की लौ पर 5-10 मिनट ध्यान दें।
✅ प्राणायाम: - नाड़ी शोधन प्राणायाम करें।
✅ ध्यान: - "ॐ" ध्वनि का ध्यान करें और अपनी तीसरी आँख पर केंद्रित करें।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ" का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ अंतर्ज्ञान, भविष्यदर्शन, और दिव्य शक्तियाँ जाग्रत होती हैं।
✔ भ्रम, अविश्वास और अज्ञान समाप्त होते हैं।
🔱 7️⃣ सहस्रार चक्र (Sahasrara Chakra) – ब्रह्मज्ञान और मोक्ष
स्थान: सिर के ऊपर (Crown Chakra)
तत्व: ब्रह्मांड 🌌
रंग: बैंगनी या सफेद 🟣⚪
बीज मंत्र: "ॐ"
गुण: आत्मज्ञान, ब्रह्म ज्ञान, मोक्ष
📌 सहस्रार चक्र जागरण विधि:
✅ ध्यान:
- ध्यान करें कि सिर के ऊपर एक हजार पंखुड़ियों वाला कमल खिल रहा है।
✅ मंत्र जाप: - "ॐ" का 108 बार जाप करें।
🔥 प्रभाव:
✔ साधक परम चेतना और आत्मज्ञान को प्राप्त करता है।
✔ जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
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