🧘 "नेति-नेति" ध्यान विधि – आत्मज्ञान की गहराई में प्रवेश 🔱
नेति-नेति (Neti-Neti) एक गहरी ध्यान विधि है, जो हमें यह सिखाती है कि हम जो नहीं हैं, उसे हटाकर अपने असली स्वरूप (शुद्ध आत्मा) को अनुभव करें।
यह अभ्यास अद्वैत वेदांत की एक शक्तिशाली साधना है, जिसे ऋषि-मुनियों ने आत्मबोध के लिए अपनाया था। श्री रमण महर्षि और अनेक संतों ने इसे स्व-चिंतन (Self-Inquiry) के रूप में प्रयोग किया।
🔥 नेति-नेति ध्यान विधि (Neti-Neti Meditation Technique) 🔥
🔹 1️⃣ तैयारी (Preparation)
✔ एक शांत जगह पर बैठें (सुखासन, पद्मासन या किसी भी आरामदायक स्थिति में)।
✔ आँखें बंद करें और कुछ गहरी साँस लें।
✔ ध्यान दें कि आप स्वयं को देखने वाले साक्षी मात्र हैं।
🔹 2️⃣ "मैं कौन हूँ?" प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करें
अब मन में यह प्रश्न उठाएँ –
🧘 "मैं कौन हूँ?"
🔹 3️⃣ हर चीज़ को नकारें (Negation Process)
1. "मैं शरीर नहीं हूँ" (I am not the body)
✔ शरीर बदलता रहता है – बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
✔ यदि मैं शरीर होता, तो मैं कभी न बदलता।
✔ इसलिए, "नेति-नेति" – मैं शरीर नहीं हूँ।
👉 अब शरीर की पहचान छोड़ दें और अगले स्तर पर जाएँ।
2. "मैं मन (विचार) नहीं हूँ" (I am not the mind)
✔ मन में विचार लगातार आते-जाते रहते हैं – खुशी, दुख, गुस्सा, शांति।
✔ यदि मैं मन होता, तो मैं स्थिर रहता, लेकिन मन हमेशा बदलता रहता है।
✔ इसलिए, "नेति-नेति" – मैं मन नहीं हूँ।
👉 अब मन से भी अलग हो जाएँ और आगे बढ़ें।
3. "मैं बुद्धि (बुद्धिमत्ता) नहीं हूँ" (I am not the intellect)
✔ बुद्धि हमें सही-गलत का ज्ञान कराती है, लेकिन यह भी समय के साथ बदलती है।
✔ यदि मैं बुद्धि होता, तो मेरा ज्ञान हमेशा स्थिर रहता, लेकिन ऐसा नहीं होता।
✔ इसलिए, "नेति-नेति" – मैं बुद्धि नहीं हूँ।
👉 अब बुद्धि की पहचान को छोड़ें और आगे जाएँ।
4. "मैं अहंकार (Ego) नहीं हूँ" (I am not the ego)
✔ अहंकार (Ego) कहता है, "मैं हूँ", "मैं अमीर हूँ", "मैं गरीब हूँ", "मैं सफल हूँ"।
✔ लेकिन यह "मैं" भी समय के साथ बदलता है।
✔ इसलिए, "नेति-नेति" – मैं अहंकार नहीं हूँ।
👉 अब अहंकार की पहचान भी मिटा दें।
🔹 4️⃣ शुद्ध आत्मा का अनुभव करें (Experience Pure Awareness)
जब सब कुछ नकार दिया जाता है, तब जो बचता है, वह शुद्ध चैतन्य (Pure Consciousness) होता है।
👉 अब केवल साक्षी बनें और अनुभव करें –
✔ "मैं शरीर नहीं हूँ, मन नहीं हूँ, बुद्धि नहीं हूँ, अहंकार नहीं हूँ।"
✔ "मैं शुद्ध आत्मा हूँ, अनंत हूँ, शांत हूँ।"
✔ "अहं ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ)।
✔ "सोऽहम्" (मैं वही हूँ – जो ब्रह्म है)।
🌿 नेति-नेति ध्यान का प्रभाव 🌿
✅ मन पूरी तरह शांत हो जाता है।
✅ भय, चिंता, क्रोध, मोह समाप्त हो जाते हैं।
✅ शरीर और मन से अलग होने का अनुभव होता है।
✅ संपूर्ण शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
✅ अहंकार गलने लगता है और आत्मज्ञान प्रकट होता है।
🕉 अंतिम सत्य – "मैं क्या हूँ?"
"नेति-नेति" से हम सब कुछ नकारते हैं, लेकिन आखिर में जो बचता है, वही असली 'मैं' है –
💡 शाश्वत आत्मा (Eternal Soul), शुद्ध चैतन्य (Pure Awareness), ब्रह्म (Supreme Consciousness)।
✨ "जिसने स्वयं को जान लिया, उसने पूरे ब्रह्मांड को जान लिया!" ✨
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