शनिवार, 30 अक्टूबर 2021

"मैं कौन हूँ?"

 

आत्म-विचार (Self-Inquiry) – "मैं कौन हूँ?" की गहराई में प्रवेश 🧘‍♂️✨

"मैं कौन हूँ?" (Who am I?) न केवल एक प्रश्न है, बल्कि आत्मज्ञान (Self-Realization) की सबसे सीधी और शक्तिशाली विधि है।

👉 यह प्रश्न पूछने से क्या होता है?

  • यह मन को बाहर की दुनिया से हटाकर अंतर्यात्रा (Inner Journey) पर ले जाता है।
  • यह अहंकार और शरीर की पहचान को मिटाकर शुद्ध आत्मा को प्रकट करता है।
  • जब इस प्रश्न का सही उत्तर मिल जाता है, तब मुक्ति (Enlightenment) मिलती है।

🔥 श्री रमण महर्षि की "आत्म-विचार" विधि 🔥

🔹 जब भी कोई विचार उठे, स्वयं से पूछो – "यह विचार किसे आया?"
🔹 उत्तर आएगा – "मुझे" (यानी अहंकार को)।
🔹 तब पूछो – "यह 'मैं' कौन है?"
🔹 यह सवाल पूछते ही मन गहरा भीतर जाता है और बाहरी चीज़ों से अलग होने लगता है।
🔹 जब तक मन पूरी तरह शांत न हो जाए, तब तक यह प्रश्न पूछते रहो।
🔹 अंततः जब प्रश्न करने वाला भी मिट जाता है, तब "मैं" का असली रूप – शुद्ध आत्मा प्रकट हो जाती है।

🕉 "शुद्ध आत्मा" हमेशा शांत, अडोल और आनंदमय रहती है। यही हमारा असली स्वरूप है।"


🧘‍♂️ आत्म-विचार करने का सही तरीका

1️⃣ शांत स्थान पर बैठें – ध्यान में बैठकर, आँखें बंद करके स्वयं से पूछें – "मैं कौन हूँ?"
2️⃣ बिना किसी तर्क-वितर्क के भीतर देखो – कौन है जो यह सवाल पूछ रहा है?
3️⃣ मन को गहराई में जाने दो – जब विचार आएँ, तो यह मत सोचो कि वे सही हैं या गलत, बस पूछो – "यह विचार किसे आया?"
4️⃣ अहंकार को पहचानो और छोड़ो – जब तक अहंकार रहेगा, तब तक असली "मैं" का ज्ञान नहीं होगा।
5️⃣ जब प्रश्न करने वाला भी गायब हो जाए – तब केवल शुद्ध आत्मा (Pure Awareness) बचती है।


🌿 आत्म-विचार से क्या प्राप्त होता है?

स्थायी शांति – क्योंकि आत्मा हमेशा शांत रहती है।
भय और चिंता का अंत – क्योंकि आत्मा जन्म और मृत्यु से परे है।
सच्चा आनंद (Bliss) – यह आनंद किसी बाहरी चीज़ पर निर्भर नहीं करता।
द्वैत का नाश – कोई "दूसरा" नहीं रहता, बस एक शुद्ध चेतना बचती है।


🌟 अद्वैत वेदांत और "मैं कौन हूँ?" 🌟

🔹 अद्वैत वेदांत (Advaita Vedanta) कहता है कि यह जगत केवल माया (Illusion) है।
🔹 जब व्यक्ति "मैं कौन हूँ?" की गहराई में जाता है, तो उसे पता चलता है कि अहंकार और संसार दोनों झूठे हैं।
🔹 तब वह जान जाता है –
"अहम् ब्रह्मास्मि" (मैं ही ब्रह्म हूँ)।
यानी, आत्मा और ब्रह्म (परमात्मा) में कोई भेद नहीं है।


🕉 अंतिम सत्य 🕉

"जो इस प्रश्न को गहराई से खोजता है, वह स्वयं को जान लेता है। और जिसने स्वयं को जान लिया, उसने ब्रह्मांड को जान लिया।"

अब आप स्वयं से पूछिए – "मैं कौन हूँ?" और इसके उत्तर की खोज में डूब जाइए! ✨

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