अयोध्याकांड रामायण का दूसरा और अत्यंत महत्वपूर्ण कांड है। इसमें भगवान श्रीराम के जीवन के उस चरण का वर्णन है, जब उन्हें राजगद्दी छोड़कर 14 वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा। इस कांड में त्याग, धर्म, कर्तव्य, और परिवार के बीच के संबंधों को विस्तार से दिखाया गया है।
अयोध्याकांड की कथा का सारांश
1. राम के राज्याभिषेक की घोषणा:
- अयोध्या के राजा दशरथ ने निर्णय लिया कि वे अपने ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाएंगे।
- इस घोषणा से अयोध्या में उत्सव का माहौल बन गया।
- राम की राज्याभिषेक की तैयारियाँ जोरों पर थीं।
2. मंथरा का षड्यंत्र और कैकेयी का वरदान:
- दशरथ की पत्नी कैकेयी की दासी मंथरा ने कैकेयी के मन में ईर्ष्या उत्पन्न की।
- मंथरा ने कैकेयी को याद दिलाया कि दशरथ ने पहले उसे दो वरदान दिए थे।
- मंथरा के बहकावे में आकर कैकेयी ने दशरथ से अपने वरदान मांग लिए:
- राम को 14 वर्षों का वनवास दिया जाए।
- कैकेयी के पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाया जाए।
3. राम का वनवास स्वीकार करना:
- राजा दशरथ कैकेयी के इन वरदानों से अत्यंत दुःखी हुए, लेकिन उन्होंने धर्म का पालन करते हुए वरदान पूरे करने का वचन दिया।
- राम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास जाने का निर्णय लिया।
- सीता और लक्ष्मण भी राम के साथ वनवास पर जाने के लिए तैयार हो गए।
4. अयोध्या का शोक:
- राम, सीता, और लक्ष्मण के वनवास पर जाने से अयोध्या के लोग शोक में डूब गए।
- राजा दशरथ अपने पुत्र वियोग को सहन नहीं कर पाए और राम के वनवास के बाद दुःख से उनकी मृत्यु हो गई।
5. भरत का त्याग:
- भरत, जो उस समय ननिहाल में थे, जब लौटे तो उन्हें राम के वनवास और दशरथ की मृत्यु का समाचार मिला।
- भरत ने कैकेयी को कड़ी फटकार लगाई और अयोध्या की गद्दी को अस्वीकार कर दिया।
- भरत राम के पास वन गए और उनसे अयोध्या लौटने का अनुरोध किया।
- राम ने भरत को धर्म का पालन करने और गद्दी संभालने के लिए कहा।
- भरत ने राम की खड़ाऊँ (चरणपादुका) लेकर उन्हें सिंहासन पर स्थापित किया और खुद राम के प्रतिनिधि के रूप में राजकाज संभाला।
अयोध्याकांड के प्रमुख प्रसंग:
राम का त्याग और आज्ञाकारिता:
श्रीराम ने पिता के वचन की रक्षा के लिए राजपाठ त्यागकर वनवास को सहर्ष स्वीकार किया।सीता का प्रेम और समर्पण:
सीता ने पत्नी धर्म निभाते हुए राम के साथ कठिन वनवास का जीवन जीने का निश्चय किया।लक्ष्मण की भक्ति:
लक्ष्मण ने भाई राम की सेवा और सुरक्षा के लिए अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया।भरत का आदर्श:
भरत ने राजगद्दी का त्याग करते हुए राम के प्रति अपने असीम प्रेम और सम्मान को दर्शाया।
अयोध्याकांड का महत्व:
- धर्म और कर्तव्य: यह कांड धर्म और कर्तव्य पालन की प्रेरणा देता है।
- त्याग और बलिदान: राम, सीता, लक्ष्मण, और भरत का त्याग और बलिदान आज भी आदर्श माने जाते हैं।
- पारिवारिक मूल्य: यह कांड परिवार के बीच प्रेम, त्याग, और सम्मान को दर्शाता है।
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