शनिवार, 17 अगस्त 2019

अजामिल की कथा – भगवान के नाम की महिमा और मोक्ष की राह

 

🙏 अजामिल की कथा – भगवान के नाम की महिमा और मोक्ष की राह 🕉️

अजामिल की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित है।
यह कथा हमें भगवान के नाम की अपार शक्ति, भक्ति की महिमा और मोक्ष प्राप्ति के रहस्य को सिखाती है।


👦 अजामिल का प्रारंभिक जीवन – एक सच्चरित्र ब्राह्मण

📜 अजामिल एक विद्वान, धर्मपरायण और सच्चरित्र ब्राह्मण थे।
📌 वे ईमानदारी, सत्य, कर्म और भक्ति के मार्ग पर चलते थे।
📌 वे प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करते, यज्ञ करते और अपने माता-पिता की सेवा करते थे।

उनका जीवन आदर्श था और वे अपनी पत्नी के साथ संतोषपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे।


😈 अजामिल का पतन – कामना और मोह का जाल

📜 एक दिन, अजामिल जंगल में गए, जहाँ उन्होंने एक दुष्चरित्र स्त्री को देखा।
📌 वह स्त्री मदिरा पी रही थी और एक दुराचारी पुरुष के साथ थी।
📌 अजामिल उन दोनों को देखकर मोहित हो गए और उनका मन भटक गया।

📌 काम, लोभ और मोह ने उन्हें अपने धर्म से भटका दिया।
उन्होंने अपनी पत्नी और माता-पिता को छोड़ दिया।
उस दुष्चरित्र स्त्री के साथ रहने लगे और पापमय जीवन बिताने लगे।
चोरी, झूठ और अधर्म में लिप्त होकर उन्होंने अपना पूरा जीवन बर्बाद कर लिया।

📌 अब वह एक धर्मपरायण ब्राह्मण से पापी और अधर्मी बन चुके थे।


🧒 अजामिल का पुत्र और नारायण नाम की महिमा

📜 अजामिल के अनेक पुत्र हुए, जिनमें सबसे छोटा पुत्र ‘नारायण’ था।
📌 अजामिल अपने इस पुत्र से अत्यधिक प्रेम करता था और बार-बार उसका नाम "नारायण... नारायण..." पुकारता रहता था।
📌 उसे यह पता नहीं था कि वह अज्ञानवश भगवान का नाम जप रहा है, जो उसके उद्धार का कारण बनेगा।


💀 मृत्यु का समय और यमदूतों का आगमन

📜 जब अजामिल 88 वर्ष के हुए, तो उनकी मृत्यु का समय निकट आ गया।
📌 उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी अधर्म और पाप में बिता दी थी।
📌 यमराज के दूत (यमदूत) आए और उन्हें नरक में ले जाने लगे।

📌 मृत्यु के समय, अजामिल भयभीत हो गए और अपने प्रिय पुत्र को पुकारने लगे –
"नारायण... नारायण...!"


🌟 भगवान विष्णु के दूतों (विष्णुदूतों) का आगमन और अजामिल की मुक्ति

📜 भगवान विष्णु के पार्षद (विष्णुदूत) तुरंत वहाँ प्रकट हो गए।
📌 यमदूत जब अजामिल की आत्मा को नरक की ओर ले जाने लगे, तो विष्णुदूतों ने उन्हें रोक दिया।
📌 यमदूतों ने कहा –
"अजामिल ने अपने जीवन में अनेक पाप किए हैं, उसे नरक में ले जाना हमारा धर्म है!"

📌 विष्णुदूतों ने उत्तर दिया –
"अजामिल ने मृत्यु के समय भगवान नारायण का नाम लिया है। भगवान के नाम का उच्चारण करने मात्र से ही उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। अब वह मुक्त है!"

📌 यमदूतों को खाली हाथ लौटना पड़ा, और अजामिल को मोक्ष प्राप्त हो गया।
📌 भगवान विष्णु की कृपा से, अजामिल ने अपना शेष जीवन भक्ति और तपस्या में व्यतीत किया और अंत में बैकुंठ धाम को प्राप्त हुआ।


📌 कहानी से मिली सीख

भगवान के नाम का स्मरण करने से सबसे बड़े पापी का भी उद्धार हो सकता है।
जीवन में जब भी अवसर मिले, हमें भगवान का नाम लेना चाहिए।
मृत्यु के समय केवल भगवान का नाम ही हमें नरक से बचा सकता है।
सत्संगति और सदाचरण का पालन करना चाहिए, अन्यथा मनुष्य पथभ्रष्ट हो सकता है।
यमराज भी भगवान विष्णु के भक्तों को छू नहीं सकते।

🙏 "अजामिल की कथा हमें सिखाती है कि भगवान का नाम स्मरण करना सबसे बड़ा पुण्य है!" 🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष (श्लोक 54-78)

 यहां भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) के श्लोक 54 से 78 तक का अर्थ और व्याख्या दी गई है। इन श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्म...