शनिवार, 10 अगस्त 2019

मीराबाई की कथा – भक्ति, प्रेम और त्याग की अमर गाथा

 

🙏 मीराबाई की कथा – भक्ति, प्रेम और त्याग की अमर गाथा 🎶

मीराबाई भारतीय भक्ति आंदोलन की सबसे प्रसिद्ध संतों में से एक थीं।
उनकी कृष्ण भक्ति, प्रेम, साहस और समर्पण ने उन्हें अमर बना दिया।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति हर बंधन से मुक्त होती है और ईश्वर की प्रेम में ही जीवन का सच्चा सुख है।


👶 मीराबाई का जन्म और बचपन

📜 मीराबाई का जन्म 1498 ई. में राजस्थान के मेड़ता के राजघराने में हुआ था।
📌 उनके पिता रतनसिंह एक शक्तिशाली राजपूत राजा थे।
📌 मीराबाई को बचपन से ही कृष्ण भक्ति की ओर झुकाव था।

📌 एक दिन, जब वे छोटी थीं, उन्होंने अपनी माँ से पूछा – "मेरा दूल्हा कौन है?"
📌 माँ ने हँसकर कहा – "बेटी, श्रीकृष्ण ही तुम्हारे दूल्हे हैं!"
📌 मीराबाई ने इसे सच मान लिया और कृष्ण को ही अपना जीवन समर्पित कर दिया।


💍 मीराबाई का विवाह और संघर्ष

📜 मीराबाई का विवाह चित्तौड़ के राजा भोजराज से हुआ था।
📌 हालाँकि, वे केवल श्रीकृष्ण को ही अपना सच्चा पति मानती थीं।
📌 राजमहल में रहते हुए भी, वे मंदिरों में जाकर भजन गातीं और कृष्ण की भक्ति करतीं।
📌 राज परिवार को यह स्वीकार नहीं था कि एक रानी साधु-संतों की तरह कृष्ण भक्ति करे।

📌 मीराबाई पर अनेक अत्याचार किए गए –
उन्हें विष का प्याला दिया गया, लेकिन वह अमृत बन गया।
उनके कमरे में जहरीला साँप छोड़ा गया, लेकिन वह शिवलिंग में बदल गया।
उन्हें साज़िश करके मारा गया, लेकिन हर बार श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की।

📌 अंततः मीराबाई ने राजमहल छोड़ दिया और कृष्ण भक्ति के मार्ग पर चल पड़ीं।


🎶 मीराबाई की भक्ति और साधना

📌 मीराबाई वृंदावन और द्वारका की ओर निकल पड़ीं।
📌 उन्होंने अनेक भजन रचे और संतों की संगति में अपना जीवन व्यतीत किया।
📌 उनके भजन आज भी भारत में गाए जाते हैं, जैसे –
"पायो जी मैंने राम रतन धन पायो..."
"मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई..."
"माई मैंने गोविंद लीनो मोहे और न कोई भाए..."

📌 उनका हर गीत श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति से भरा हुआ था।


🌟 मीराबाई का अंतिम समय और श्रीकृष्ण में लीन होना

📜 ऐसा कहा जाता है कि द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति में वे विलीन हो गईं।
📌 राजा की बहुत विनती के बाद भी वे वापस नहीं लौटीं।
📌 एक दिन वे मंदिर में श्रीकृष्ण के सामने गा रही थीं, तभी वे श्रीकृष्ण की मूर्ति में समा गईं।
📌 उनका शरीर लुप्त हो गया और वे भगवान में एकाकार हो गईं।


📌 कहानी से मिली सीख

सच्ची भक्ति हर बंधन से मुक्त होती है।
दुनिया चाहे कितनी भी बाधाएँ डाले, भक्त को भगवान की राह से कोई डिगा नहीं सकता।
भगवान अपने सच्चे भक्त की रक्षा स्वयं करते हैं।
प्रेम और भक्ति में अहंकार का स्थान नहीं होता।

🙏 "मीराबाई की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में प्रेम, समर्पण और साहस होता है!" 🙏

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