अनुष्टुप छंद – 32 अक्षरों वाला वैदिक छंद
अनुष्टुप छंद (Anushtubh Chhand) संस्कृत साहित्य और वैदिक साहित्य का सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से प्रयुक्त छंद है। यह 32 अक्षरों वाला छंद होता है, जिसमें 4 पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।
👉 अनुष्टुप छंद में ही "भगवद गीता" के अधिकांश श्लोक रचे गए हैं।
🔹 अनुष्टुप छंद की संरचना
📖 अनुष्टुप छंद का व्याकरणीय स्वरूप:
- प्रत्येक श्लोक में 4 पंक्तियाँ (पाद) होती हैं।
- प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।
- पूरा छंद 32 अक्षरों का होता है।
📖 सामान्य संरचना:
XXXXXXXX | XXXXXXXX | XXXXXXXX | XXXXXXXX
(प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर, कुल 4 पंक्तियाँ – 32 अक्षर)
👉 अनुष्टुप छंद सबसे अधिक उपयोग में आने वाला छंद है, क्योंकि यह लयबद्ध और याद रखने में सरल होता है।
🔹 प्रसिद्ध उदाहरण – भगवद गीता का श्लोक
📖 श्रीमद्भगवद्गीता (2.47):
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। (8+8 = 16 अक्षर)
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥" (8+8 = 16 अक्षर)
📖 अर्थ:
- तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, लेकिन फल में कभी नहीं।
- इसलिए कर्मफल की चिंता मत कर और न ही निष्क्रियता में आसक्त हो।
👉 भगवद गीता के लगभग सभी श्लोक अनुष्टुप छंद में रचे गए हैं।
🔹 वेदों में अनुष्टुप छंद के उदाहरण
1️⃣ ऋग्वेद मंत्र (अनुष्टुप छंद में)
📖 मंत्र:
"अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। (8+8 = 16 अक्षर)
होतारं रत्नधातमम्॥" (8+8 = 16 अक्षर)
📖 अर्थ:
- हम अग्निदेव की स्तुति करते हैं, जो यज्ञों के पुरोहित हैं।
- वे देवताओं के लिए हवन करने वाले और उत्तम रत्नों के दाता हैं।
👉 ऋग्वेद में अग्निदेव का यह पहला मंत्र अनुष्टुप छंद में है।
2️⃣ रामायण का श्लोक (अनुष्टुप छंद में)
📖 श्रीरामचरितमानस (बालकांड)
"मंगल भवन अमंगल हारी। (8 अक्षर)
द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी॥" (8 अक्षर)
📖 अर्थ:
- भगवान श्रीराम मंगल देने वाले और अमंगल को हरने वाले हैं।
- हे प्रभु! दशरथ के आंगन में विचरण करने वाले, कृपा करें।
👉 रामायण में भी अधिकतर श्लोक अनुष्टुप छंद में ही रचे गए हैं।
🔹 अनुष्टुप छंद का महत्व
✅ 1️⃣ सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला छंद
- रामायण, महाभारत, भगवद गीता, वेदों के मंत्र, पुराणों के श्लोक – इनमें अनुष्टुप छंद का व्यापक रूप से उपयोग हुआ है।
✅ 2️⃣ मंत्रों और श्लोकों को याद रखने में आसान
- इसकी 8-8 अक्षरों की लयबद्धता इसे सरल और प्रभावी बनाती है।
✅ 3️⃣ आध्यात्मिक शक्ति और ध्यान में सहायक
- अनुष्टुप छंद में रचित श्लोकों का उच्चारण करने से मानसिक शांति और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।
✅ 4️⃣ योग, साधना और वेदांत में महत्वपूर्ण
- मंत्र जाप और ध्यान करने वाले अनुष्टुप छंद में रचित श्लोकों को प्राथमिकता देते हैं।
🔹 निष्कर्ष
1️⃣ अनुष्टुप छंद 32 अक्षरों वाला छंद है, जिसमें 4 पंक्तियाँ और प्रत्येक में 8 अक्षर होते हैं।
2️⃣ भगवद गीता, रामायण, महाभारत और वेदों के कई मंत्र इस छंद में रचे गए हैं।
3️⃣ इसका उच्चारण करने से मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, जिससे साधक को आत्मज्ञान की ओर बढ़ने में सहायता मिलती है।
4️⃣ यह छंद संस्कृत साहित्य और वेदांत दर्शन का आधारभूत छंद है, जो ध्यान और योग के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
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