शनिवार, 25 मई 2019

जगती छंद – 48 अक्षरों वाला वैदिक छंद

 

जगती छंद – 48 अक्षरों वाला वैदिक छंद

जगती छंद (Jagati Chhand) वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण छंद है। यह 48 अक्षरों वाला छंद होता है, जिसमें 4 पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 12 अक्षर होते हैं।

👉 यह छंद मुख्य रूप से ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में प्रयुक्त हुआ है और इसका उपयोग विशेष रूप से मंत्रों और स्तुतियों में किया जाता है।


🔹 जगती छंद की संरचना

📖 जगती छंद का व्याकरणीय स्वरूप:

  • प्रत्येक श्लोक में 4 पंक्तियाँ (पाद) होती हैं।
  • प्रत्येक पंक्ति में 12 अक्षर होते हैं।
  • पूरा छंद 48 अक्षरों का होता है।

📖 सामान्य संरचना:

XXXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXXX
(प्रत्येक पंक्ति में 12 अक्षर, कुल 4 पंक्तियाँ – 48 अक्षर)

👉 जगती छंद की अधिक अक्षर संख्या इसे अनुष्टुप और त्रिष्टुप छंद की तुलना में अधिक शक्तिशाली और गेय बनाती है।


🔹 वेदों में जगती छंद के उदाहरण

1️⃣ ऋग्वेद का मंत्र (जगती छंद में)

📖 मंत्र:

"विश्वानि नो दुरितानि परा सुव। (12 अक्षर)
यद्भद्रं तन्न आसुव।" (12 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे प्रभु! हमारे सभी पापों को दूर करें।
  • जो मंगलकारी हो, हमें वही प्रदान करें।

👉 यह मंत्र शांति और कल्याण की प्रार्थना का उत्कृष्ट उदाहरण है।


2️⃣ भगवद गीता का श्लोक (जगती छंद में)

📖 श्रीमद्भगवद्गीता (11.12):

"दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता। (12 अक्षर)
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः॥" (12 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • यदि आकाश में एक साथ हजारों सूर्य उदय हो जाएँ,
  • तो भी उस महान पुरुष (भगवान श्रीकृष्ण) की आभा के समान नहीं हो सकते।

👉 यह श्लोक भगवान के विराट स्वरूप की भव्यता को प्रकट करता है।


3️⃣ यजुर्वेद का मंत्र (जगती छंद में)

📖 मंत्र:

"ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु। (12 अक्षर)
सह वीर्यं करवावहै।" (12 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे परमात्मा! हम दोनों (गुरु और शिष्य) की रक्षा करें।
  • हम साथ मिलकर ज्ञान प्राप्त करें और वीरता से आगे बढ़ें।

👉 यह मंत्र गुरु-शिष्य परंपरा का आधार है और जगती छंद में इसकी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।


🔹 जगती छंद का महत्व

1️⃣ वैदिक साहित्य में व्यापक उपयोग

  • ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में यह छंद बार-बार आता है।
  • इसका उपयोग देवताओं की स्तुति, प्रार्थनाओं और यज्ञ विधियों में होता है।

2️⃣ संगीत और मंत्रोच्चारण में प्रभावी

  • जगती छंद की लय और गेयता इसे वेदों के मंत्रों के लिए आदर्श बनाती है।
  • सामवेद के कई गान इसी छंद में रचे गए हैं।

3️⃣ उच्चारण से मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है

  • जगती छंद में उच्चारित मंत्रों का प्रभाव अधिक गहरा होता है, जिससे ध्यान और साधना में सहायता मिलती है।

4️⃣ विस्तार और भाव की गहराई के लिए उपयुक्त

  • 48 अक्षरों का यह छंद अधिक विस्तार और गहरी भावना को प्रकट करने के लिए उपयोगी है।

🔹 निष्कर्ष

1️⃣ जगती छंद 48 अक्षरों वाला छंद है, जिसमें 4 पंक्तियाँ और प्रत्येक में 12 अक्षर होते हैं।
2️⃣ ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, भगवद गीता और अन्य ग्रंथों में इसका व्यापक रूप से प्रयोग हुआ है।
3️⃣ इसका उपयोग मुख्य रूप से प्रार्थनाओं, स्तुतियों और यज्ञ मंत्रों में किया जाता है।
4️⃣ इसका उच्चारण करने से मानसिक, आध्यात्मिक और ध्यान ऊर्जा बढ़ती है।

शनिवार, 18 मई 2019

त्रिष्टुप छंद – 44 अक्षरों वाला वैदिक छंद

 

त्रिष्टुप छंद – 44 अक्षरों वाला वैदिक छंद

त्रिष्टुप छंद (Trishtubh Chhand) वैदिक साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली छंद है। यह 44 अक्षरों वाला छंद होता है, जिसमें 4 पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 11 अक्षर होते हैं।

👉 ऋग्वेद के अधिकांश मंत्र त्रिष्टुप छंद में रचे गए हैं, और यह संस्कृत काव्य का सबसे शक्तिशाली छंद माना जाता है।


🔹 त्रिष्टुप छंद की संरचना

📖 त्रिष्टुप छंद का व्याकरणीय स्वरूप:

  • प्रत्येक श्लोक में 4 पंक्तियाँ (पाद) होती हैं।
  • प्रत्येक पंक्ति में 11 अक्षर होते हैं।
  • पूरा छंद 44 अक्षरों का होता है।

📖 सामान्य संरचना:

XXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXX | XXXXXXXXXXX
(प्रत्येक पंक्ति में 11 अक्षर, कुल 4 पंक्तियाँ – 44 अक्षर)

👉 त्रिष्टुप छंद अधिक गंभीर और प्रभावशाली छंद है, जिसे ऋषियों और कवियों ने देवताओं की स्तुति, युद्ध के वर्णन, और गंभीर उपदेशों के लिए उपयोग किया है।


🔹 वेदों में त्रिष्टुप छंद के उदाहरण

1️⃣ ऋग्वेद का मंत्र (त्रिष्टुप छंद में)

📖 मंत्र:

"इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। (11 अक्षर)
अपो न भ्राजदृष्टयः।" (11 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे वीरों! इंद्र को बढ़ाओ और इस संसार को आर्य बनाओ।
  • जैसे जल चमकता है, वैसे ही ज्ञान से जीवन को प्रकाशित करो।

👉 ऋग्वेद के लगभग 40% मंत्र त्रिष्टुप छंद में रचे गए हैं।


2️⃣ भगवद गीता का श्लोक (त्रिष्टुप छंद में)

📖 श्रीमद्भगवद्गीता (2.37):

"हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। (11 अक्षर)
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः॥" (11 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • यदि तुम युद्ध में मारे गए, तो स्वर्ग प्राप्त करोगे, और यदि विजयी हुए, तो पृथ्वी का राज्य भोगोगे।
  • इसलिए हे अर्जुन! निश्चय करके युद्ध के लिए खड़े हो जाओ।

👉 गीता में त्रिष्टुप छंद का उपयोग गंभीर उपदेशों के लिए किया गया है।


3️⃣ रामायण का श्लोक (त्रिष्टुप छंद में)

📖 श्रीरामचरितमानस (बालकांड)

"श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भव भय दारुणम्। (11 अक्षर)
नवकंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम्॥" (11 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे मन! श्रीराम का भजन कर, जो कृपालु हैं और संसार के भय को हरने वाले हैं।
  • उनके नेत्र, मुख, हाथ और चरण सब कमल के समान सुंदर हैं।

👉 त्रिष्टुप छंद की मधुरता इसे भक्ति साहित्य में भी उपयुक्त बनाती है।


🔹 त्रिष्टुप छंद का महत्व

1️⃣ वेदों और महाकाव्यों में व्यापक उपयोग

  • ऋग्वेद, महाभारत, गीता, रामायण और अन्य ग्रंथों में त्रिष्टुप छंद का बहुत उपयोग हुआ है।

2️⃣ शक्ति और गंभीरता से भरा छंद

  • इस छंद का प्रयोग मुख्य रूप से वीर रस, गंभीर उपदेश, और धार्मिक स्तुतियों में किया जाता है।

3️⃣ मंत्रों और श्लोकों को प्रभावशाली बनाने में सहायक

  • इसकी 11-11 अक्षरों की लयबद्धता इसे उच्चारण में प्रभावशाली बनाती है।

4️⃣ आध्यात्मिक शक्ति और ध्यान में सहायक

  • त्रिष्टुप छंद के मंत्रों का उच्चारण करने से मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होती है।

🔹 निष्कर्ष

1️⃣ त्रिष्टुप छंद 44 अक्षरों वाला छंद है, जिसमें 4 पंक्तियाँ और प्रत्येक में 11 अक्षर होते हैं।
2️⃣ ऋग्वेद, भगवद गीता, महाभारत और रामायण में यह छंद व्यापक रूप से प्रयुक्त हुआ है।
3️⃣ इसका उपयोग मुख्य रूप से वीरता, उपदेश और धार्मिक स्तुतियों में किया जाता है।
4️⃣ इसका उच्चारण करने से मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।

शनिवार, 11 मई 2019

अनुष्टुप छंद – 32 अक्षरों वाला वैदिक छंद

 

अनुष्टुप छंद – 32 अक्षरों वाला वैदिक छंद

अनुष्टुप छंद (Anushtubh Chhand) संस्कृत साहित्य और वैदिक साहित्य का सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से प्रयुक्त छंद है। यह 32 अक्षरों वाला छंद होता है, जिसमें 4 पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।

👉 अनुष्टुप छंद में ही "भगवद गीता" के अधिकांश श्लोक रचे गए हैं।


🔹 अनुष्टुप छंद की संरचना

📖 अनुष्टुप छंद का व्याकरणीय स्वरूप:

  • प्रत्येक श्लोक में 4 पंक्तियाँ (पाद) होती हैं।
  • प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।
  • पूरा छंद 32 अक्षरों का होता है।

📖 सामान्य संरचना:

XXXXXXXX | XXXXXXXX | XXXXXXXX | XXXXXXXX
(प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर, कुल 4 पंक्तियाँ – 32 अक्षर)

👉 अनुष्टुप छंद सबसे अधिक उपयोग में आने वाला छंद है, क्योंकि यह लयबद्ध और याद रखने में सरल होता है।


🔹 प्रसिद्ध उदाहरण – भगवद गीता का श्लोक

📖 श्रीमद्भगवद्गीता (2.47):

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। (8+8 = 16 अक्षर)
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥" (8+8 = 16 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, लेकिन फल में कभी नहीं।
  • इसलिए कर्मफल की चिंता मत कर और न ही निष्क्रियता में आसक्त हो।

👉 भगवद गीता के लगभग सभी श्लोक अनुष्टुप छंद में रचे गए हैं।


🔹 वेदों में अनुष्टुप छंद के उदाहरण

1️⃣ ऋग्वेद मंत्र (अनुष्टुप छंद में)

📖 मंत्र:

"अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। (8+8 = 16 अक्षर)
होतारं रत्नधातमम्॥" (8+8 = 16 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हम अग्निदेव की स्तुति करते हैं, जो यज्ञों के पुरोहित हैं।
  • वे देवताओं के लिए हवन करने वाले और उत्तम रत्नों के दाता हैं।

👉 ऋग्वेद में अग्निदेव का यह पहला मंत्र अनुष्टुप छंद में है।


2️⃣ रामायण का श्लोक (अनुष्टुप छंद में)

📖 श्रीरामचरितमानस (बालकांड)

"मंगल भवन अमंगल हारी। (8 अक्षर)
द्रवहु सो दसरथ अजिर बिहारी॥" (8 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • भगवान श्रीराम मंगल देने वाले और अमंगल को हरने वाले हैं।
  • हे प्रभु! दशरथ के आंगन में विचरण करने वाले, कृपा करें।

👉 रामायण में भी अधिकतर श्लोक अनुष्टुप छंद में ही रचे गए हैं।


🔹 अनुष्टुप छंद का महत्व

1️⃣ सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला छंद

  • रामायण, महाभारत, भगवद गीता, वेदों के मंत्र, पुराणों के श्लोक – इनमें अनुष्टुप छंद का व्यापक रूप से उपयोग हुआ है।

2️⃣ मंत्रों और श्लोकों को याद रखने में आसान

  • इसकी 8-8 अक्षरों की लयबद्धता इसे सरल और प्रभावी बनाती है।

3️⃣ आध्यात्मिक शक्ति और ध्यान में सहायक

  • अनुष्टुप छंद में रचित श्लोकों का उच्चारण करने से मानसिक शांति और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।

4️⃣ योग, साधना और वेदांत में महत्वपूर्ण

  • मंत्र जाप और ध्यान करने वाले अनुष्टुप छंद में रचित श्लोकों को प्राथमिकता देते हैं।

🔹 निष्कर्ष

1️⃣ अनुष्टुप छंद 32 अक्षरों वाला छंद है, जिसमें 4 पंक्तियाँ और प्रत्येक में 8 अक्षर होते हैं।
2️⃣ भगवद गीता, रामायण, महाभारत और वेदों के कई मंत्र इस छंद में रचे गए हैं।
3️⃣ इसका उच्चारण करने से मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, जिससे साधक को आत्मज्ञान की ओर बढ़ने में सहायता मिलती है।
4️⃣ यह छंद संस्कृत साहित्य और वेदांत दर्शन का आधारभूत छंद है, जो ध्यान और योग के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।


शनिवार, 4 मई 2019

गायत्री छंद – 24 अक्षरों वाला वैदिक छंद

 

गायत्री छंद – 24 अक्षरों वाला वैदिक छंद

गायत्री छंद वैदिक छंदों में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण छंद माना जाता है। यह 24 अक्षरों वाला छंद होता है, जिसमें 3 पंक्तियाँ होती हैं, प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।

👉 गायत्री छंद में मंत्रों की रचना करने से मंत्र शक्तिशाली और प्रभावी बनते हैं। यह छंद वेदों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से ऋग्वेद में।


🔹 गायत्री छंद की संरचना

📖 गायत्री छंद का व्याकरणीय स्वरूप:

  • प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर होते हैं।
  • कुल 3 पंक्तियाँ होती हैं।
  • पूरा छंद 24 अक्षरों का होता है।

📖 सामान्य संरचना:

XXXXXXXX | XXXXXXXX | XXXXXXXX
(प्रत्येक पंक्ति में 8 अक्षर, कुल 3 पंक्तियाँ)

👉 इस छंद की मधुरता और लयबद्धता इसे विशेष बनाती है।


🔹 प्रसिद्ध उदाहरण – गायत्री मंत्र

📖 ऋग्वेद 3.62.10 में वर्णित गायत्री मंत्र:

ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं। (8 अक्षर)
भर्गो देवस्य धीमहि। (8 अक्षर)
धियो यो नः प्रचोदयात्। (8 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे परमात्मा! उस दिव्य तेजस्वी सविता (सूर्य) के प्रकाश को हम ध्यानपूर्वक ग्रहण करें।
  • वह प्रकाश हमारी बुद्धि को प्रेरित करे और हमें सत्कर्म की ओर अग्रसर करे।

👉 गायत्री मंत्र सबसे प्रसिद्ध मंत्र है जो गायत्री छंद में रचा गया है।


🔹 अन्य वेदों में गायत्री छंद के उदाहरण

1️⃣ यजुर्वेद का मंत्र (गायत्री छंद में)

📖 मंत्र:

"अग्ने नय सुपथा राये। (8 अक्षर)
अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि। (8 अक्षर)
विद्वान् युयोध्यस्मज्जुहुराणम्।" (8 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हे अग्निदेव! हमें उत्तम मार्ग पर ले चलो।
  • हमें शुभ कर्मों की ओर प्रेरित करो और बुरी शक्तियों से रक्षा करो।

2️⃣ सामवेद का मंत्र (गायत्री छंद में)

📖 मंत्र:

"इन्द्राय सोममं वहे। (8 अक्षर)
विश्वेभिः सोमपीतये। (8 अक्षर)
स नो मृळाति वृष्ण्यं।" (8 अक्षर)

📖 अर्थ:

  • हम इंद्रदेव के लिए सोमरस लाएँ।
  • सभी देवताओं के साथ मिलकर इसका पान करें।
  • हमें शक्ति और आनंद प्रदान करें।

🔹 गायत्री छंद का महत्व

1️⃣ वेदों में व्यापक उपयोग

  • ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद में गायत्री छंद में कई मंत्र मिलते हैं।

2️⃣ आध्यात्मिक शक्ति और ध्यान का महत्व

  • गायत्री छंद में मंत्र जाप करने से मानसिक शांति, ऊर्जा, और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।

3️⃣ मंत्रों की प्रभावशीलता को बढ़ाने वाला छंद

  • इस छंद की लयबद्धता और उच्चारण की गति इसे विशेष शक्ति प्रदान करती है।

4️⃣ योग और साधना में महत्वपूर्ण

  • योग साधक और ध्यान करने वाले गायत्री छंद में मंत्रों का जप करके अपनी चेतना को उच्चतम स्तर तक पहुँचा सकते हैं।

🔹 निष्कर्ष

1️⃣ गायत्री छंद 24 अक्षरों वाला छंद है, जिसमें 3 पंक्तियाँ और प्रत्येक में 8 अक्षर होते हैं।
2️⃣ गायत्री मंत्र इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है, जिसे वेदों का सार माना जाता है।
3️⃣ यह छंद वेदों में व्यापक रूप से प्रयोग किया गया है और इसका आध्यात्मिक तथा ध्यान में गहरा प्रभाव पड़ता है।
4️⃣ इसका उच्चारण करने से मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं, जिससे साधक को आत्मज्ञान की ओर बढ़ने में सहायता मिलती है।


भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष (श्लोक 54-78)

 यहां भागवत गीता: अध्याय 18 (मोक्ष संन्यास योग) के श्लोक 54 से 78 तक का अर्थ और व्याख्या दी गई है। इन श्लोकों में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्म...