शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

सार्वभौमिकता (Universalism)

 सार्वभौमिकता (Universalism) एक ऐसा विचार है जो संपूर्ण मानवता और ब्रह्मांड के लिए समानता, एकता, और परस्पर संबंध का सिद्धांत प्रस्तुत करता है। यह दृष्टिकोण जाति, धर्म, संस्कृति, राष्ट्रीयता, और अन्य भेदभावों को नकारते हुए सभी के लिए समान मूल्यों और अधिकारों की वकालत करता है।


सार्वभौमिकता का अर्थ

  • सार्वभौमिकता का आधार यह विश्वास है कि समस्त प्राणी एक ही स्रोत से उत्पन्न हुए हैं और सभी के अधिकार, आवश्यकताएँ, और अस्तित्व एक समान हैं।
  • यह विचार विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, और परंपराओं के मूल में मौजूद है, जिसमें "वसुधैव कुटुंबकम्" (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) जैसे सिद्धांत शामिल हैं।

सार्वभौमिकता के प्रमुख सिद्धांत

  1. समानता:

    • सभी मनुष्यों का मूल्य और गरिमा समान है।
    • जाति, धर्म, लिंग, या राष्ट्रीयता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं।
  2. सह-अस्तित्व:

    • सभी प्राणी और प्रकृति के तत्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
    • पारस्परिक सम्मान और सहयोग पर जोर।
  3. सामूहिक भलाई:

    • व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास का सामंजस्य।
    • सभी के लिए समान अवसर और न्याय।
  4. धार्मिक सार्वभौमिकता:

    • सभी धर्म एक ही सत्य की ओर इशारा करते हैं।
    • ईश्वर तक पहुँचने के रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन उद्देश्य एक ही है।

सार्वभौमिकता के भारतीय दृष्टांत

1. "वसुधैव कुटुंबकम्"

  • यह वैदिक सूत्र संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने का संदेश देता है।
  • यह विचार जाति, धर्म, और सीमाओं से परे मानवता की एकता को प्रोत्साहित करता है।

2. "सर्व धर्म समभाव"

  • गांधीजी और अन्य भारतीय संतों का यह सिद्धांत सभी धर्मों के प्रति समान आदर को व्यक्त करता है।

3. भगवद्गीता

  • गीता में कहा गया है कि ईश्वर हर किसी में समान रूप से विद्यमान हैं।
  • "समदर्शी" (समान दृष्टि वाला) बनने का संदेश।

4. उपनिषदों का संदेश

  • "एकोहम बहुस्यामि" (एक से अनेक की उत्पत्ति) और "अहम् ब्रह्मास्मि" (मैं ब्रह्म हूँ) जैसे विचार सार्वभौमिक चेतना का परिचय देते हैं।

सार्वभौमिकता के लाभ

  1. सामाजिक सद्भाव:

    • समाज में जातिवाद, धर्मवाद, और भेदभाव को समाप्त करता है।
    • परस्पर प्रेम और सहयोग को बढ़ावा देता है।
  2. वैश्विक शांति:

    • युद्ध, आतंकवाद, और राष्ट्रीयता आधारित संघर्षों को रोकने में सहायक।
    • समावेशी विकास की ओर प्रेरित करता है।
  3. धार्मिक एकता:

    • विभिन्न धर्मों के बीच संवाद और समझ बढ़ाता है।
    • धर्म के नाम पर होने वाले विवादों को कम करता है।
  4. पर्यावरण संरक्षण:

    • सभी जीव-जंतुओं और प्रकृति के तत्वों के प्रति समान सम्मान।
    • सतत विकास और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी।

आधुनिक युग में सार्वभौमिकता का महत्व

1. वैश्वीकरण और पारस्परिक संबंध

  • आधुनिक समाज एक वैश्विक गाँव बन चुका है।
  • सार्वभौमिक दृष्टिकोण लोगों और संस्कृतियों को जोड़ने में मदद करता है।

2. मानव अधिकार

  • सार्वभौमिकता मानव अधिकारों की नींव है।
  • हर व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिलें, यह सुनिश्चित करता है।

3. पर्यावरणीय चुनौतियाँ

  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए सहयोग और एकता की आवश्यकता।

4. मानसिक और आध्यात्मिक शांति

  • सार्वभौमिकता व्यक्तिगत जीवन में करुणा, दया, और संतोष का भाव पैदा करती है।
  • यह मानवता को एक साझा उद्देश्य की ओर प्रेरित करती है।

सार्वभौमिकता के व्यावहारिक पहलू

  1. शिक्षा:

    • शिक्षा में सार्वभौमिक मूल्यों जैसे समानता, सहिष्णुता, और सह-अस्तित्व को शामिल करना।
  2. धार्मिक संवाद:

    • विभिन्न धर्मों और परंपराओं के बीच संवाद और सहयोग।
  3. सामाजिक सुधार:

    • जाति, लिंग, और वर्ग के भेदभाव को समाप्त करना।
  4. पर्यावरण संरक्षण:

    • प्रकृति के प्रति आदर और उसकी रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास।

निष्कर्ष

सार्वभौमिकता एक ऐसा दृष्टिकोण है जो मानवता और ब्रह्मांड को जोड़ने का कार्य करता है। यह सभी के लिए समानता, शांति, और संतोष का मार्ग प्रशस्त करता है। आधुनिक युग में, जब सामाजिक, धार्मिक, और पर्यावरणीय समस्याएँ बढ़ रही हैं, सार्वभौमिकता ही एक ऐसा समाधान है जो सभी को एक साझा उद्देश्य और दिशा दे सकता है।

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