शनिवार, 4 दिसंबर 2021

अहं ब्रह्मास्मि" का गहरा अभ्यास और ध्यान विधि

 

🧘‍♂️ "अहं ब्रह्मास्मि" का गहरा अभ्यास और ध्यान विधि 🔱

"अहं ब्रह्मास्मि" का अनुभव केवल एक बौद्धिक विचार नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना है जो हमें हमारे असली स्वरूप की पहचान कराती है। जब हम इसे गहरी ध्यान विधियों के साथ जोड़ते हैं, तब यह सत्य हमारे जीवन में प्रकट होता है। अब हम इस वाक्य के गहरे अभ्यास और ध्यान विधियों पर चर्चा करेंगे।


🔱 1️⃣ "अहं ब्रह्मास्मि" का ध्यान विधि (Meditation Technique for Aham Brahmasmi)

🔹 तैयारी

  • एक शांत और सुसंगत स्थान पर बैठें।
  • आँखें बंद करके कुछ गहरी साँसें लें, शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें।
  • ध्यान को केंद्रित करें और अपने मन को शांत करें।

🔹 ध्यान में "अहं ब्रह्मास्मि" का जप
1️⃣ "अहं ब्रह्मास्मि" का मंत्र जप करें

  • अपनी आवाज़ में या मन ही मन "अहं ब्रह्मास्मि" का जप करते हुए ध्यान केंद्रित करें।
  • यह मंत्र "मैं ब्रह्म हूँ" की पुष्टि करता है, और यह आपके मन को आपके असली स्वरूप की ओर आकर्षित करता है।
  • मन में इसे बार-बार दोहराने से, आपके भीतर की चेतना शुद्ध और स्थिर होती है।

2️⃣ गहरी आत्म-चिंतन (Self-Inquiry)

  • अब ध्यान को और गहरा करें और खुद से यह सवाल पूछें:
    • "मैं कौन हूँ?"
    • "क्या मैं यह शरीर हूँ?"
    • "क्या मैं यह मन हूँ?"
  • जब आप इन सवालों का उत्तर ढूँढते हैं, तो यह महसूस करते हैं कि शरीर और मन सिर्फ अस्थायी हैं, लेकिन जो सत्य है, वह आपकी आत्मा है, जो अनंत और अपरिवर्तनीय है।

3️⃣ नेति-नेति अभ्यास

  • नेति-नेति (यह नहीं, यह नहीं) विधि का अभ्यास करते हुए, आप खुद को इस विचार से अलग कर लेते हैं कि "मैं शरीर हूँ" या "मैं मन हूँ"
  • अंत में आपको यह समझ में आता है कि "मैं ही ब्रह्म हूँ", क्योंकि ब्रह्म ही सत्य है।

🔹 शांति और एकता का अनुभव

  • जब आप "अहं ब्रह्मास्मि" में पूरी तरह से डूबते हैं, तो आपको एक गहरी शांति का अनुभव होता है।
  • आपको यह महसूस होता है कि आप और ब्रह्म अलग नहीं हैं, और एक असीम आनंद की अनुभूति होती है।

🔱 2️⃣ "अहं ब्रह्मास्मि" के अभ्यास से क्या प्रभाव पड़ते हैं?

1️⃣ आध्यात्मिक साक्षात्कार (Spiritual Realization)

  • इस अभ्यास से आत्मा की पहचान होने लगती है। आप समझने लगते हैं कि आप ब्रह्म (सर्वव्यापी चेतना) हैं।
  • यह बोध आपको अखंड शांति और आध्यात्मिक मुक्ति की ओर ले जाता है।

2️⃣ संसार के साथ एकता (Oneness with the Universe)

  • "अहं ब्रह्मास्मि" का बोध होने पर, संसार और ब्रह्मांड के हर तत्व में एकता का अनुभव होता है।
  • आप महसूस करते हैं कि आप केवल चेतना हैं, और इस चेतना से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति, हर जीव, और हर वस्तु ब्रह्म का हिस्सा है।

3️⃣ माया का नाश (Dissolution of Illusion)

  • इस अभ्यास से आपको माया (भ्रम) का नाश होता है, और आपको यह समझ में आता है कि यह जगत केवल एक भ्रम है।
  • आप जो कुछ भी देख रहे हैं, वह अस्थायी है। असली सत्य केवल ब्रह्म है।

4️⃣ आध्यात्मिक शांति और संतुलन

  • "अहं ब्रह्मास्मि" का अनुभव करते हुए आपको जीवन में आध्यात्मिक शांति और संतुलन मिलता है।
  • आप शरीर और मन के परे एक शुद्ध, अडिग और आनंदमय स्थिति में रहते हैं।

📜 अद्वैत वेदांत में "अहं ब्रह्मास्मि" का महत्व

"अहं ब्रह्मास्मि" अद्वैत वेदांत के सिद्धांत का केंद्र है, जो यह सिखाता है कि आत्मा (Atman) और ब्रह्म (Brahman) एक ही हैं। इस सिद्धांत के अनुसार:

1️⃣ ब्रह्म ही वास्तविकता है – ब्रह्म का अस्तित्व शाश्वत और अनंत है, जबकि यह संसार माया है (भ्रम)।
2️⃣ आत्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं – जब कोई व्यक्ति यह अनुभव करता है कि "मैं ब्रह्म हूँ", तो वह समझता है कि आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं।
3️⃣ माया और बंधन से मुक्ति"अहं ब्रह्मास्मि" का अनुभव व्यक्ति को माया और जन्म-मरण के बंधनों से मुक्ति दिलाता है।


🌿 "अहं ब्रह्मास्मि" – अंत में क्या प्राप्त होता है?

मोक्ष (Moksha) – आत्मज्ञान का सर्वोच्च बोध।
अनंत आनंद (Infinite Bliss) – ब्रह्म के साथ एकता का अनुभव।
शांति और संतुलन (Peace and Balance) – जीवन में स्थायी शांति का अनुभव।
संसार से परे अस्तित्व (Transcendence) – शरीर और मन से परे, शुद्ध चेतना में आत्म-रूप से अनुभव।

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