सुंदरकांड रामायण का पाँचवाँ कांड है और इसे रामायण का हृदय कहा जाता है। यह कांड भगवान हनुमान की वीरता, भक्ति और अद्वितीय साहस का वर्णन करता है। सुंदरकांड में श्रीराम के प्रति हनुमानजी की निष्ठा और समर्पण का आदर्श रूप देखने को मिलता है।
सुंदरकांड की कथा का सारांश
1. हनुमानजी की समुद्र लंघन:
- श्रीराम और वानरों को पता चला कि सीता रावण द्वारा लंका में बंदी बनाई गई हैं।
- वानर सेना को समुद्र पार कर लंका जाने का कार्य सौंपा गया।
- हनुमानजी ने अपनी शक्ति के बल पर समुद्र लांघने का संकल्प लिया।
- उन्होंने समुद्र के बीच में आने वाली बाधाओं, जैसे मैनाक पर्वत, सुरसा, और सिंहिका को परास्त किया।
2. लंका में प्रवेश:
- लंका पहुँचकर हनुमानजी ने रावण की राजधानी का निरीक्षण किया।
- उन्होंने लंका की भव्यता और रावण की शक्ति को देखा।
- हनुमान ने अपनी लघु रूपधारण कर लंका में प्रवेश किया।
3. सीता माता की खोज:
- हनुमानजी ने अशोक वाटिका में सीता माता को दुखी अवस्था में पाया।
- सीता रावण के प्रस्तावों को ठुकरा रही थीं और श्रीराम का स्मरण कर रही थीं।
- हनुमान ने श्रीराम की अंगूठी सीता को दी और उन्हें सांत्वना दी।
4. रावण का सामना:
- सीता से भेंट के बाद, हनुमान ने लंका में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।
- उन्होंने अशोक वाटिका को नष्ट कर दिया और रावण के सैनिकों को परास्त किया।
- रावण ने हनुमान को बंदी बनाने के लिए अपने पुत्र अक्षयकुमार को भेजा, जिसे हनुमान ने मार दिया।
- बाद में, रावण ने मेघनाद को भेजा, जिसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर हनुमान को बंदी बनाया।
5. रावण की सभा में हनुमान:
- हनुमान को रावण की सभा में ले जाया गया।
- हनुमान ने रावण को धर्म का उपदेश दिया और सीता को लौटाने की सलाह दी।
- रावण ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया और हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया।
6. लंका दहन:
- हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लगी आग से पूरी लंका को जला दिया।
- उन्होंने सीता को पुनः सांत्वना दी और समुद्र लांघकर श्रीराम के पास लौट आए।
7. श्रीराम को सीता का समाचार:
- हनुमान ने श्रीराम को सीता का संदेश और उनके आभूषण दिए।
- श्रीराम ने हनुमान के पराक्रम और भक्ति की प्रशंसा की।
सुंदरकांड के प्रमुख प्रसंग:
- समुद्र लंघन: हनुमानजी की अद्वितीय शक्ति और साहस का परिचय।
- सीता माता से भेंट: हनुमान की विनम्रता और भक्ति का आदर्श।
- लंका दहन: अधर्म के खिलाफ खड़ा होने का संदेश।
सुंदरकांड के प्रमुख संदेश:
- भक्ति और समर्पण: हनुमानजी की भक्ति और श्रीराम के प्रति समर्पण हर भक्त के लिए आदर्श है।
- धैर्य और साहस: कठिन परिस्थितियों में भी साहस और विवेक बनाए रखना।
- धर्म का पालन: अधर्म के विरुद्ध खड़े होने और सत्य का साथ देने का संदेश।
सुंदरकांड का महत्व:
- सुंदरकांड हमें यह सिखाता है कि भक्ति और निष्ठा से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं।
- हनुमानजी की कथा प्रेरणा देती है कि समर्पण, साहस और पराक्रम से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
- यह कांड भगवान श्रीराम और हनुमानजी के अद्वितीय संबंध का प्रतीक है।
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