🙏 भगवान विष्णु और राजा बलि की कथा – वामन अवतार की पवित्र गाथा 🏹
भगवान विष्णु ने अनेक बार धरती पर अवतार लिया, लेकिन वामन अवतार एक ऐसा अवतार था, जिसमें उन्होंने राजा बलि की परीक्षा ली और अंततः उसे आशीर्वाद देकर पाताल लोक का स्वामी बना दिया। यह कथा भक्ति, दान, परीक्षा और भगवान की कृपा का अद्भुत उदाहरण है।
👑 असुरों के महान राजा बलि
राजा बलि, प्रह्लाद के वंशज और असुरों के महान राजा थे। वे शक्ति, पराक्रम और दानशीलता में अद्वितीय थे।
📌 उन्होंने अपने बल और तपस्या से स्वर्ग लोक जीत लिया, जिससे इंद्र और देवता घबरा गए।
📌 राजा बलि धर्मपरायण और दयालु थे, लेकिन उनमें स्वर्ग पर शासन करने की इच्छा थी।
📌 देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे राजा बलि की परीक्षा लें और देवताओं का खोया हुआ स्वर्ग उन्हें वापस दिलाएँ।
🧘 वामन अवतार – भगवान विष्णु का पाँचवाँ अवतार
भगवान विष्णु ने एक छोटे ब्राह्मण बालक (वामन) के रूप में अवतार लिया।
वे तीर्थयात्रा पर निकले एक तेजस्वी ब्राह्मण बालक के रूप में राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुँचे।
📌 राजा बलि यज्ञ कर रहे थे और दान देने का संकल्प लिया था।
📌 वामन ऋषि का रूप धारण कर राजा बलि के पास गए और दान माँगने लगे।
📌 राजा बलि ने विनम्रता से पूछा –
"ब्रह्मचारी, आप मुझसे क्या चाहते हैं? धन, गाएँ, महल या कोई राज्य?"
वामन मुस्कुराए और बोले –
"मुझे केवल तीन पग भूमि चाहिए।"
राजा बलि ने हँसकर कहा –
"इतना कम दान क्यों माँग रहे हो? मैं पूरी धरती दे सकता हूँ!"
📌 लेकिन बलि के गुरु शुक्राचार्य को संदेह हुआ।
📌 उन्होंने बलि को चेतावनी दी – "यह कोई साधारण ब्राह्मण नहीं, स्वयं विष्णु हैं! सावधान रहो!"
📌 लेकिन राजा बलि ने कहा – "अगर स्वयं भगवान मेरे पास दान लेने आए हैं, तो यह मेरा सौभाग्य है!"
📌 उन्होंने वामन को तीन पग भूमि देने का संकल्प लिया।
🌍 भगवान विष्णु का विराट रूप – तीन पगों में संपूर्ण ब्रह्मांड समा गया
जैसे ही बलि ने दान का संकल्प लिया, वामन ने अपना स्वरूप बदल लिया और विराट रूप धारण कर लिया।
📌 पहले पग में उन्होंने पूरी पृथ्वी नाप ली।
📌 दूसरे पग में पूरे आकाश और स्वर्ग लोक को भर दिया।
📌 अब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा।
भगवान विष्णु ने राजा बलि से पूछा –
"बलि, अब तीसरा पग कहाँ रखूँ?"
राजा बलि मुस्कुराए और कहा –
"भगवान, तीसरा पग मेरे सिर पर रख दीजिए।"
भगवान विष्णु ने तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रख दिया और उन्हें पाताल लोक भेज दिया।
🌟 भगवान विष्णु का आशीर्वाद और राजा बलि का अमरत्व
राजा बलि की भक्ति, दानशीलता और समर्पण को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए।
📌 उन्होंने बलि को वरदान दिया कि पाताल लोक का राजा बनोगे और वहाँ सुख-शांति से रहोगे।
📌 हर वर्ष 'बलिप्रतिप्रदा' (ओणम) के दिन तुम धरती पर आकर अपने भक्तों से मिल सकोगे।
📌 भगवान विष्णु ने राजा बलि की सुरक्षा के लिए खुद वैकुंठ छोड़कर पाताल लोक में पहरा देने का संकल्प लिया और 'द्वारपाल' के रूप में रहने लगे।
📌 कहानी से मिली सीख
✔ सच्चा त्याग और दान वही है, जिसमें व्यक्ति अपने अहंकार को छोड़ दे।
✔ जो सच्ची भक्ति और श्रद्धा से भगवान को स्वीकार करता है, उसे उनका आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
✔ भगवान कभी किसी को दंड देने के लिए नहीं, बल्कि सही मार्ग दिखाने के लिए अवतार लेते हैं।
✔ स्वार्थ से किया गया दान केवल अहंकार है, लेकिन निःस्वार्थ दान सच्ची भक्ति है।
🙏 "राजा बलि की कथा हमें सिखाती है कि सच्चा दान, भक्ति और समर्पण ही वास्तविक संपत्ति है!" 🙏
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