भारतीय संगीत और नाट्यशास्त्र का विकास
भारतीय संगीत और नाट्यशास्त्र का विकास वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक एक लंबी और समृद्ध परंपरा रही है। यह मुख्य रूप से सामवेद, नाट्यशास्त्र (भरतमुनि), और शास्त्रीय ग्रंथों के आधार पर विकसित हुआ है। भारतीय संगीत और नाटक दोनों ही धार्मिक, आध्यात्मिक, और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़े रहे हैं और समय के साथ विभिन्न शैलियों में विभाजित हुए हैं।
🔹 भारतीय संगीत का विकास
1️⃣ वैदिक काल (1500-500 ई.पू.) – संगीत की जड़ें
- भारतीय संगीत की जड़ें सामवेद में हैं, जिसे "संगीतमय वेद" कहा जाता है।
- सामवेद के मंत्रों को गाने के लिए सुरों और लयों का प्रयोग किया गया।
- वैदिक यज्ञों में सामगान (संगीतबद्ध मंत्र) का विशेष महत्व था।
📖 उदाहरण (सामवेद 1.1.1)
"इन्द्राय सोमं पिबा त्वमस्माकं वाजे भूयासि।"
📖 अर्थ: हे इंद्र, सोम रस का पान करो और हमें शक्ति प्रदान करो।
👉 वैदिक संगीत का मुख्य आधार था – स्वर (सप्तक) और छंद।
2️⃣ नाट्यशास्त्र और शास्त्रीय संगीत (500 ई.पू. – 200 ईस्वी)
- भरतमुनि द्वारा रचित "नाट्यशास्त्र" भारतीय संगीत, नृत्य और नाटक का पहला व्यवस्थित ग्रंथ है।
- इसमें संगीत के तीन भागों का वर्णन किया गया:
- गान (गायन)
- वाद्य (वाद्ययंत्र बजाना)
- नृत्य (नृत्य और अभिनय)
- इसमें 22 श्रुतियों (माइक्रो-टोन) और सप्त स्वरों (सा, रे, ग, म, प, ध, नि) का वर्णन मिलता है।
📖 नाट्यशास्त्र में वर्णित सप्तक:
"षड्जऋषभगांधारमध्यमपञ्चमधैवतनिषादाः।"
📖 अर्थ: सा, रे, ग, म, प, ध, नि – ये भारतीय संगीत के मूल स्वर हैं।
👉 नाट्यशास्त्र भारतीय संगीत और रंगमंच का पहला पूर्ण ग्रंथ है।
3️⃣ गुप्त काल और राग प्रणाली (300-800 ईस्वी)
- गुप्त काल में ध्रुवपद गायन विकसित हुआ, जो आगे जाकर ध्रुपद शैली में परिवर्तित हुआ।
- इस समय राग प्रणाली विकसित हुई।
- मातंग मुनि ने "बृहदेशी" ग्रंथ लिखा, जिसमें राग-रागिनी प्रणाली का पहला उल्लेख मिलता है।
- इस काल में वीणा और मृदंग जैसे वाद्ययंत्रों का प्रयोग बढ़ा।
📖 बृहदेशी ग्रंथ में रागों का वर्णन:
"रागस्य जनकः स्वरः।"
📖 अर्थ: स्वर से ही रागों की उत्पत्ति होती है।
👉 इस काल में भारतीय संगीत की ध्रुपद और राग प्रणाली विकसित हुई।
4️⃣ मध्यकाल (900-1700 ईस्वी) – हिंदुस्तानी और कर्नाटिक संगीत का विभाजन
- अमीर खुसरो (13वीं शताब्दी) ने हिंदुस्तानी संगीत की नींव रखी और ख्याल गायन को जन्म दिया।
- दक्षिण भारत में कर्नाटिक संगीत विकसित हुआ, जिसके प्रमुख ग्रंथकार पुरंदरदास और त्यागराज रहे।
- इस काल में वीणा, सितार, तबला और मृदंग जैसे वाद्ययंत्रों का विकास हुआ।
📖 अमीर खुसरो द्वारा विकसित राग:
"काफी, यमन, तोड़ी, भैरव, पीलू।"
👉 इस काल में हिंदुस्तानी और कर्नाटिक संगीत दो अलग-अलग धाराओं में विकसित हुआ।
5️⃣ आधुनिक काल (1700-वर्तमान)
- 18वीं और 19वीं शताब्दी में तानसेन, त्यागराज, बिस्मिल्लाह खान, भीमसेन जोशी, एम.एस. सुब्बालक्ष्मी जैसे महान संगीतज्ञ हुए।
- भारतीय संगीत में शास्त्रीय (राग आधारित), सुगम (भजन, कीर्तन), और फिल्मी संगीत का विकास हुआ।
- 20वीं शताब्दी में पं. रविशंकर (सितार), अली अकबर खान (सरोद), उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (शहनाई) जैसे कलाकारों ने भारतीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई।
📖 भारतीय संगीत के दो प्रमुख प्रकार:
- हिंदुस्तानी संगीत (उत्तर भारत)
- कर्नाटिक संगीत (दक्षिण भारत)
👉 आज भारतीय संगीत विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है और योग व ध्यान में भी प्रयोग किया जाता है।
🔹 नाट्यशास्त्र का विकास और भारतीय रंगमंच
1️⃣ नाट्यशास्त्र (भरतमुनि, 200 ईसा पूर्व – 200 ईस्वी)
- भरतमुनि का "नाट्यशास्त्र" भारतीय नाटक, संगीत, और नृत्य का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
- इसमें अभिनय (नाट्य), राग, ताल, और रस सिद्धांत का विस्तृत वर्णन है।
📖 भरतमुनि के अनुसार आठ रस:
- श्रृंगार (प्रेम)
- हास्य (हँसी)
- करुण (दुख)
- रौद्र (क्रोध)
- वीर (वीरता)
- भयानक (भय)
- वीभत्स (घृणा)
- अद्भुत (आश्चर्य)
👉 भरतमुनि ने "रंगमंच" को देवताओं से प्रेरित बताया और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और मनोरंजन का माध्यम माना।
2️⃣ संस्कृत नाटक और महाकवि कालिदास (400-600 ईस्वी)
- कालिदास, भास, शूद्रक, भवभूति जैसे महान नाटककारों ने रंगमंच को ऊँचाई दी।
- कालिदास ने "अभिज्ञान शाकुंतलम", "मालविकाग्निमित्रम", "विक्रमोर्वशीयम" जैसे नाटक लिखे।
📖 कालिदास का प्रसिद्ध श्लोक:
"काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।"
📖 अर्थ: बुद्धिमान लोग काव्य और शास्त्र के अध्ययन में समय बिताते हैं।
👉 संस्कृत नाटकों ने भारतीय रंगमंच की आधारशिला रखी।
🔹 निष्कर्ष
- भारतीय संगीत और नाट्यशास्त्र की जड़ें वैदिक काल में सामवेद से जुड़ी हुई हैं।
- भरतमुनि के नाट्यशास्त्र ने संगीत, नृत्य, और नाटक को व्यवस्थित रूप दिया।
- कालिदास और अन्य संस्कृत नाटककारों ने भारतीय रंगमंच को समृद्ध बनाया।
- आज भारतीय संगीत और रंगमंच विश्व भर में अपनी पहचान बना चुका है।
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